पीटीआई। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि संबंधित कंपनियां नई प्रौद्योगिकी अपनाने को तैयार नहीं हैं।
गडकरी ने कहा कि सरकार नई प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित कर रही है।’क्रिसिल इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर कान्क्लेव 2023′ को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि इस्पात और सीमेंट उद्योग की बड़ी कंपनियां कीमतें बढ़ाने के लिए गुटबंदी (कार्टेल) कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘स्टील और सीमेंट इंडस्ट्री को जब भी मौका मिलता है,वे गुट बनाते हैं और कीमतें बढ़ा देते हैं।’
अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने वाले गडकरी ने कहा, ‘एनएचएआइ के लिए डीपीआर तैयार करना एक बड़ी समस्या है। किसी भी परियोजना में कहीं भी कोई सटीक डीपीआर नहीं है। उन्होंने कहा, ‘डीपीआर बनाते समय वे (डीपीआर बनाने वाली कंपनियां) नई प्रौद्योगिकी, नवाचार, नए शोध को अपनाने को तैयार नहीं हैं और यहां तक कि डीपीआर का मानक इतना कम है कि हर जगह सुधार की गुंजाइश है।’
गुणवत्ता और लागत के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत
गडकरी ने कहा, एक समय 50 बड़े ठेकेदार थे, जिन्हें सड़क निर्माण का ठेका मिलता था। मुझे यह सही नहीं लगा, इसलिए मैंने प्रौद्योगिकी और वित्तीय मानदंडों को उदार बनाया, जिसके चलते आज हमारे पास 600 बड़े ठेकेदार हैं।
गडकरी ने कहा, ‘हमें गुणवत्ता और लागत के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत है। यह एक बड़ी चुनौती भी है। उन्होंने बताया कि भारत में लाजिस्टिक्स लागत 14-16 प्रतिशत है, जबकि चीन में यह 8-10 प्रतिशत है। गडकरी ने कहा कि हमारा लक्षय 2024 के अंत तक भारत की लाजिस्टिक्स लागत को एक अंक में लाना है। उन्होंने बताया कि सरकार देश में एथनाल पंप शुरू करने की योजना बना रही है।
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