” रुद्रप्रयाग का सारी गांव बना पहाड़ का पर्यटन हब: 50 होम स्टे, हजारों पर्यटक, पलायन पर ब्रेक!

 

 

 

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड का सारी गांव अब सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि ग्रामीण पर्यटन और आत्मनिर्भरता की जीती-जागती मिसाल बन चुका है। चोपता और तुंगनाथ जैसे प्रसिद्ध ट्रैकिंग रूटों पर स्थित यह गांव करीब 50 होम स्टे के साथ न केवल सैलानियों का स्वागत कर रहा है, बल्कि 250 से ज्यादा ग्रामीणों को रोजगार भी दे रहा है।

1999 में माउंटेन गाइड मुरली सिंह नेगी ने अपने पुराने घर से इस परिवर्तन की शुरुआत की थी। आज इस गांव में जो भी आता है, उसे पारंपरिक पहाड़ी जीवनशैली, स्थानीय भोजन, और आत्मीय मेहमाननवाजी का अनुभव मिलता है। यही कारण है कि सालभर पर्यटकों की आवाजाही बनी रहती है और गांव पूरी तरह जीवंत नजर आता है।

मुख्यमंत्री ने भी माना मॉडल गांव

दिसंबर 2024 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद सारी गांव का दौरा किया और एक होम स्टे में रात्रि विश्राम किया। उन्होंने गांव के पर्यटन मॉडल की सराहना करते हुए कहा कि,

“सारी गांव जैसा मॉडल राज्य के अन्य ग्रामीण क्षेत्रों को भी प्रेरणा देगा।”

ट्रैकिंग प्रेमियों के लिए स्वर्ग

सारी गांव से शुरू होने वाले ट्रैकिंग रूट न सिर्फ रोमांचक हैं, बल्कि धार्मिक और प्राकृतिक दृष्टि से भी समृद्ध हैं:

  • तुंगनाथ ट्रैक (30 किमी): भगवान शिव को समर्पित विश्व के सबसे ऊंचे शिव मंदिर तक पहुंच।

  • चोपता ट्रैक (25 किमी): बर्फ से ढंकी घाटियों और लाल बुरांश से सजा सौंदर्य।

  • देवरिया ताल ट्रैक (3 किमी): शांत, सुंदर और दर्पण समान झील तक छोटा लेकिन आकर्षक सफर।

गांव के विकास के आँकड़े:

  • 191 परिवार गांव में निवासरत

  • 1200 की आबादी

  • 50+ होम स्टे, जिनमें से 41 पंजीकृत

  • 250 लोगों को रोजगार

  • 7000 पर्यटक आए 2023 में

सरकारी योजनाओं का सहयोग

  • कई होम स्टे दीन दयाल उपाध्याय पर्यटन योजना के तहत शुरू किए गए हैं

  • ट्रेकिंग ट्रैक्शन सेंटर योजनान्तर्गत 30 होम स्टे को मिला अनुदान

सारी गांव अब उत्तराखंड की नई पहचान बन रहा है—जहां पर्यटन है, रोजगार है, और सबसे बड़ी बात, गांव में जीवन है। पहाड़ों के युवाओं के लिए यह गांव एक संदेश है कि पलायन नहीं, पहाड़ों में रहकर भी सपने सच किए जा सकते हैं।

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