नई दिल्ली: मध्य-पूर्व एक बार फिर युद्ध की दहलीज पर है। शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर हवाई हमले कर दिए, जिसके जवाब में ईरान ने भी पलटवार किया। दोनों देशों के बीच आसमान में आग बरसाई गई और इस टकराव ने पूरी दुनिया की चिंता बढ़ा दी है।
अमेरिका की दूरी, लेकिन शक की सुई वहीं
इजरायली कार्रवाई पर अमेरिका ने साफ किया कि उसका इन हमलों से कोई लेना-देना नहीं है। फिर भी, ईरान का मानना है कि इस हमले में अमेरिकी समर्थन शामिल था। इससे आशंका है कि अब ईरान इराक, खाड़ी देशों और अन्य पश्चिम एशियाई अमेरिकी ठिकानों को निशाना बना सकता है।
तेज हो सकता है परमाणु होड़ का खेल
विश्लेषकों का कहना है कि अगर इजरायल ईरान के परमाणु केंद्रों को पूरी तरह नष्ट नहीं कर पाया, तो यह ईरान को जल्द से जल्द परमाणु हथियार विकसित करने के लिए उकसा सकता है। इससे पूरा इलाका दीर्घकालिक युद्ध और अस्थिरता की आग में झुलस सकता है।
खाड़ी देशों पर संकट, वैश्विक अर्थव्यवस्था को झटका
संघर्ष के फैलने की स्थिति में ईरान ऊर्जा संरचनाओं और होर्मुज जलडमरूमध्य को निशाना बना सकता है। इससे वैश्विक तेल आपूर्ति बाधित हो सकती है और पहले से जूझती विश्व अर्थव्यवस्था को और महंगाई के झटके लग सकते हैं। इसका सबसे बड़ा लाभ रूस को मिल सकता है, जहां तेल की कीमतें चढ़ने से अरबों डॉलर का खजाना भर सकता है।
गहराता भू-राजनीतिक संकट: नेतृत्व परिवर्तन या गृहयुद्ध?
इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने खुले शब्दों में कहा है कि ईरान की सत्ता परिवर्तन ही उनका लक्ष्य है। हालांकि, यह उद्देश्य पूरा हुआ तो ईरान में गृहयुद्ध जैसे हालात बन सकते हैं, जिसका असर सिर्फ पश्चिम एशिया ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ सकता है।
इजरायल और ईरान के बीच बढ़ता टकराव एक छोटे सैन्य अभियान से शुरू होकर वैश्विक संकट में बदल सकता है। जैसे-जैसे यह संघर्ष गहराता है, दुनिया खतरनाक मोड़ की ओर बढ़ती दिख रही है – जहां कूटनीति की जगह बारूद बोल रहा है और भविष्य अनिश्चित नजर आ रहा है।