गैंडा: विलुप्ति की कगार पर खड़ा अनोखा जीव, दुनियाभर में सिर्फ 27 हजार बचे

 

 

देहरादून: जंगल के रोमांचक सफर में अक्सर लोग टाइगर या हाथी देखने की उम्मीद रखते हैं, लेकिन एक और विशालकाय जीव है जो उतना ही दुर्लभ और रोमांचकारी है — गैंडा। यह अद्वितीय प्राणी, जो जंगल का शाही स्वरूप प्रस्तुत करता है, अब तेजी से विलुप्त होने की कगार पर है। गैंडा उन वन्यजीवों में शामिल है, जिनका दुनियाभर में सबसे ज्यादा शिकार किया गया है। इसके परिणामस्वरूप, इनकी कई प्रजातियां अब खत्म होने के करीब हैं।

दुनियाभर में गैंडों की प्रजातियां और उनकी दुर्दशा

गैंडों की पांच प्रमुख प्रजातियां हैं: सुमात्रा गैंडा, काला गैंडा, सफेद गैंडा, जावन गैंडा, और भारत-नेपाल में पाया जाने वाला एक सींग वाला गैंडा। अफ्रीका और एशिया के कुछ चुनिंदा हिस्सों में ये प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन इनकी संख्या अब खतरनाक रूप से कम हो गई है।

सुमात्रा गैंडा और जावन गैंडा की स्थिति सबसे चिंताजनक है, क्योंकि दुनिया में केवल 34 से 47 सुमात्रा गैंडे और लगभग 50 जावन गैंडे ही बचे हैं। काले गैंडे की 87% आबादी नामीबिया, दक्षिण अफ्रीका और केन्या में है, लेकिन इनकी संख्या भी घटकर केवल 6421 रह गई है। इसके विपरीत, सफेद गैंडे की स्थिति कुछ बेहतर है, जिनकी संख्या 17,464 बताई गई है, लेकिन इनका भविष्य भी सुरक्षित नहीं है।

भारत-नेपाल के गैंडों की कहानी:

भारत और नेपाल में पाया जाने वाला एक सींग वाला गैंडा संरक्षण के प्रयासों के कारण अपेक्षाकृत सुरक्षित स्थिति में है। 20वीं सदी के शुरुआती दशकों में इनकी संख्या मात्र 100-200 तक घट गई थी, लेकिन बेहतर संरक्षण नीतियों के चलते अब यह संख्या करीब 4000 तक पहुंच चुकी है। भारत और नेपाल में मिलाकर लगभग 4000 गैंडे वर्तमान में जीवित हैं।

भारतीय गैंडा अपनी विशालता और शारीरिक ताकत के लिए जाना जाता है। इनकी औसत लंबाई लगभग 12 फुट होती है, और ऊंचाई 5-6 फुट तक होती है। नर गैंडे का वजन लगभग 2000 किलो तक हो सकता है, जबकि मादा गैंडे का वजन 1500 किलो के आसपास होता है।

गैंडों का विलुप्ति की ओर बढ़ता संकट:

गैंडों की कुल वैश्विक संख्या पर नजर डालें तो ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं। 20वीं सदी की शुरुआत में, अफ्रीका और एशिया में करीब 5 लाख गैंडे थे। लेकिन शिकार और प्राकृतिक आवास की कमी के कारण 1970 तक यह संख्या घटकर केवल 70 हजार रह गई। आज, पूरे विश्व में सिर्फ 27 हजार गैंडे ही बचे हैं, जो एक गंभीर चिंता का विषय है।

गैंडों के संरक्षण की दिशा में उठते कदम:

गैंडों की संख्या में आई भारी गिरावट ने दुनियाभर के वन्यजीव विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया है। भारतीय और नेपाली सरकारों ने गैंडों के संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे यह उम्मीद जगी है कि गैंडों की यह प्रजाति एक बार फिर फल-फूल सकेगी। हालांकि, गैंडों के संरक्षण की यह जंग अभी खत्म नहीं हुई है, और इसे जीतने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयासों की जरूरत है।

गैंडों का संरक्षण न केवल इन अद्वितीय प्राणियों को बचाने का प्रयास है, बल्कि यह हमारे प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने के लिए भी बेहद आवश्यक है। इसीलिए, इस दिशा में उठाए गए हर छोटे से छोटे कदम का महत्वपूर्ण योगदान है।

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