केजरीवाल का ‘जनता की अदालत’ से BJP और RSS पर सीधा वार: “क्या यही है लोकतंत्र?”

 

देहरादून: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, अब पूरी तरह से विपक्षी राजनीति के केंद्र में आ चुके हैं। रामलीला मैदान में आयोजित “जनता की अदालत” कार्यक्रम में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर तीखा हमला बोला। अपने भाषण के दौरान, केजरीवाल ने सीधे संघ प्रमुख मोहन भागवत से 5 बड़े सवाल पूछे, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।

केजरीवाल ने RSS और बीजेपी पर साधा निशाना

केजरीवाल ने अपने संबोधन में ईडी और सीबीआई (ED-CBI) के दुरुपयोग को लेकर बीजेपी पर कड़े आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “मोदी सरकार लालच देकर या ईडी-सीबीआई का डर दिखाकर विपक्षी दलों के नेताओं को तोड़ रही है। क्या यह लोकतंत्र के लिए सही है?” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भ्रष्ट नेताओं को बीजेपी में शामिल करके पार्टी ने लोकतांत्रिक मूल्यों का अपमान किया है।

संघ प्रमुख मोहन भागवत से 5 सीधे सवाल

जनसभा के दौरान, केजरीवाल ने जनता के सामने मोहन भागवत से 5 सवाल दागे:

  1. भ्रष्टाचार पर बीजेपी का दोहरा मापदंड: केजरीवाल ने कहा, “मोदी जी ने जिन नेताओं को सबसे बड़ा भ्रष्टाचारी कहा, वे आज बीजेपी में शामिल हो गए हैं। क्या आपने ऐसी बीजेपी की कल्पना की थी?”
  2. ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग: केजरीवाल का दूसरा सवाल था कि क्या बीजेपी द्वारा ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल विपक्षी दलों के नेताओं को डराने और तोड़ने के लिए सही है?
  3. जेपी नड्डा के बयान पर प्रतिक्रिया: केजरीवाल ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अब बीजेपी को RSS की जरूरत नहीं है। “आपके दिल पर क्या गुजरी जब बीजेपी ने यह कहा कि अब वह अपनी मां (RSS) को आंख दिखा रही है?”
  4. 75 साल से अधिक उम्र के नेताओं का मुद्दा: केजरीवाल ने संघ के उस नियम की बात उठाई जिसमें कहा गया था कि 75 साल की उम्र के बाद नेताओं को रिटायर होना चाहिए। “लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को रिटायर कर दिया गया, लेकिन मोदी जी पर यह नियम लागू क्यों नहीं होता?”
  5. लोकतंत्र की सुरक्षा का सवाल: अंत में केजरीवाल ने यह सवाल किया कि बीजेपी के मौजूदा कदमों से देश का लोकतंत्र खतरे में है। क्या संघ प्रमुख इससे सहमत हैं?

मोदी सरकार पर व्यक्तिगत हमले

केजरीवाल ने पीएम नरेंद्र मोदी की उम्र और उनके निर्णयों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “75 साल की उम्र के बाद बीजेपी के अन्य नेता रिटायर हो गए हैं, फिर मोदी जी पर यह नियम लागू क्यों नहीं होता?” यह सवाल उन लोगों के लिए था जो संघ के भीतर नियमों और अनुशासन की बात करते हैं।

सियासी हलचल बढ़ी

केजरीवाल के इन बयानों के बाद राजनीतिक गलियारों में बड़ी चर्चा छिड़ गई है। बीजेपी ने इसे केजरीवाल का हताशा भरा कदम बताया, जबकि आप समर्थकों ने इसे लोकतंत्र और सच्चाई की लड़ाई करार दिया है।

इस तरह केजरीवाल ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि वह सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी एक मजबूत विपक्षी चेहरे के रूप में उभरने की कोशिश कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि मोहन भागवत या बीजेपी इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है।

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