अक्टूबर से शुरू होगी कैलाश दर्शन यात्रा: पुराने लिपुलेख दर्रे से मिलेगी अनूठी आध्यात्मिक यात्रा का अनुभव

( photo- indiatv.in)

 

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की व्यास घाटी से होकर पुराने लिपुलेख दर्रे से कैलाश दर्शन की बहुप्रतीक्षित परियोजना अक्टूबर के पहले सप्ताह से शुरू होने जा रही है। कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) के प्रबंध निदेशक विनीत तोमर ने बताया कि इस पायलट परियोजना के लिए पहले से ही भारी बुकिंग हो चुकी है। परियोजना के तहत 60 पर्यटकों का पहला जत्था पिथौरागढ़ से हेलीकॉप्टर के जरिए गुंजी पहुंचाया जाएगा, जहां से वे पैदल यात्रा कर पुराने लिपुलेख दर्रे से कैलाश चोटी के दर्शन करेंगे।

55 साल से कम उम्र वालों के लिए विशेष यात्रा

आपको बता दें कि कैलाश दर्शन यात्रा के लिए 55 साल से कम उम्र के इच्छुक पर्यटकों को 15-15 सदस्यों के समूहों में भेजा जाएगा। यह अनूठी यात्रा पर्यटकों को पौराणिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरे इस क्षेत्र की गहराई में ले जाएगी, जहां से वे कैलाश पर्वत के दिव्य दर्शन कर सकेंगे।

मौसम ने बदला यात्रा का समय

हालांकि, पहले यह यात्रा 15 सितंबर से 30 अक्टूबर के बीच होनी थी, लेकिन खराब मौसम के कारण अब इसे अक्टूबर के पहले सप्ताह से शुरू किया जाएगा। यात्रा की लागत और अन्य व्यवस्थाओं पर अभी काम जारी है, और धारचूला आधार शिविर से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, लोगों की पूछताछ में कई गुना वृद्धि देखी गई है।

तीर्थयात्रियों के लिए बढ़ता आकर्षण

धारचूला आधार शिविर के प्रभारी धनसिंह बिष्ट ने कहा कि यदि श्रद्धालुओं को पुराने लिपुलेख दर्रे से कैलाश दर्शन की सुविधा मिलती है, तो व्यास घाटी में पर्यटकों की संख्या में दोगुना इजाफा हो सकता है। पिथौरागढ़ के पर्यटन अधिकारी ने इस यात्रा को कैलाश मानसरोवर यात्रा का विकल्प बताया, हालांकि चीन सरकार से अभी अनुमति नहीं मिली है।

भूस्खलन के बाद मार्ग साफ, जारी हुए इनर लाइन परमिट

इसी दौरान सीमा सड़क संगठन ने तवाघाट में हुए भूस्खलन का मलबा हटाकर रास्ता साफ कर दिया है, जिसके बाद धारचूला प्रशासन ने 100 से अधिक आदि कैलाश तीर्थयात्रियों को ‘इनर लाइन’ परमिट जारी किए। धारचूला के उपजिलाधिकारी श्रेष्ठ गुनसोला ने बताया कि इन तीर्थयात्रियों को परमिट मिलने के बाद गुरुवार को आदि कैलाश के लिए रवाना किया गया।

इस नई योजना के साथ, उत्तराखंड के इस पवित्र क्षेत्र में न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि श्रद्धालुओं को एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव भी प्राप्त होगा।

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