मातावाला बाग विवाद सुलझा: बैठक में बनी आपसी सहमति, पहलवानों को मिलेगा नया अभ्यास स्थल

 

 

 

देहरादून: शहर के चर्चित मातावाला बाग प्रकरण को लेकर शनिवार को एसएसपी कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें दोनों पक्षों के प्रतिनिधिमंडलों ने भाग लिया और शांति, समझौते और आपसी संवाद के माध्यम से मामले का समाधान निकाला गया।

बैठक की अध्यक्षता एसपी सिटी प्रमोद कुमार और सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष सिंह ने की। एक ओर जहां अमित तोमर और उनके प्रतिनिधिमंडल ने अपनी बात रखी, वहीं दूसरी ओर श्री दरबार साहिब के मुख्य व्यवस्थापक मधुसूदन सेमवाल और प्रबंध समिति के सदस्यों ने पक्ष रखा। बैठक में दोनों पक्षों ने न्यायालय के आदेशों और संपत्ति अधिकारों का सम्मान करते हुए आपसी सहमति जताई।

कोर्ट आदेश तक बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक

यह तय हुआ कि माननीय न्यायालय के प्रभावी आदेश तक मातावाला बाग में किसी भी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश बिना अनुमति प्रतिबंधित रहेगा। साथ ही, मातावाला बाग में स्थित अखाड़े में भी कोई अभ्यास गतिविधि नहीं होगी। सभी ने इस बात पर सहमति जताई कि अखाड़े का पूर्ण स्वामित्व श्री गुरु राम राय दरबार साहिब के पास है और उनकी अनुमति के बिना किसी प्रकार की गतिविधि नहीं होगी।

पहलवानों के लिए मिलेगा नया अभ्यास स्थल

बैठक में यह भी तय हुआ कि जो पहलवान वर्तमान में मातावाला बाग में अभ्यास करते थे, उनके लिए किसी अन्य स्थान पर नया अखाड़ा उपलब्ध करवाया जाएगा। इस पर दोनों पक्षों ने सहमति जताई और कहा गया कि 5 दिन के भीतर रायशुमारी कर श्री दरबार साहिब प्रबंधन समिति नया स्थान चिन्हित करेगी।

सोशल मीडिया से आपत्तिजनक टिप्पणियां हटेंगी

बैठक में पहले पक्ष द्वारा श्री दरबार साहिब व पूज्य श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज के संबंध में सोशल मीडिया पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों को लेकर खेद प्रकट किया गया और आधे घंटे के भीतर सभी टिप्पणियां हटाने पर सहमति जताई गई।

मातावाला बाग में सैर के लिए पास अनिवार्य

मातावाला बाग में सार्वजनिक सैर पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन प्रवेश के लिए इच्छुक व्यक्तियों को आधार कार्ड व दस्तावेज प्रस्तुत कर पास बनवाना अनिवार्य होगा। श्री दरबार साहिब प्रबंधन की ओर से तय समय अनुसार सैर की अनुमति दी जाएगी।

वृक्षों की सुरक्षा पर भी बनी सहमति

मातावाला बाग में मौजूद वृक्षों की संख्या की नंबरिंग पूरी हो चुकी है, जिसका डेटा वन विभाग के पास सुरक्षित है। इस संख्या की सार्वजनिक जानकारी हेतु प्रवेश द्वार पर सूचना बोर्ड लगाने पर भी सहमति बनी।

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