मतांतरण विरोधी कानूनों पर बड़ी सुनवाई: SC 16 अप्रैल को करेगा अहम सुनवाई, कई राज्यों के कानूनों को दी गई है चुनौती

 

 

 

पीटीआई: देश में मतांतरण से जुड़े विवादास्पद मामलों पर सुप्रीम कोर्ट 16 अप्रैल को अहम सुनवाई करेगा। यह मामला मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आएगा, जिसमें जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन भी शामिल हैं।

सुनवाई के दौरान कोर्ट उन याचिकाओं पर विचार करेगा जिनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के मतांतरण विरोधी कानूनों को चुनौती दी गई है। साथ ही, जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ दायर याचिका भी अदालत के समक्ष होगी, जिसमें डर, लालच और धोखे के ज़रिए किए गए मतांतरण पर रोक लगाने की मांग की गई है।

जनवरी 2023 की एक सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को ‘गंभीर’ बताते हुए इसे राजनीतिक रंग न देने की सलाह दी थी। अदालत ने उस समय अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी से इस मामले में सहयोग भी मांगा था।

याचिकाओं में कहा गया है कि कुछ राज्य कानूनों के जरिए लोगों को अपने धर्म के बारे में बताने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जिससे उनकी निजता का उल्लंघन होता है। जमीयत उलमा-ए-हिंद ने इन कानूनों को अंतरधार्मिक जोड़ों को परेशान करने का माध्यम बताया है और कहा कि इन्हें आपराधिक मामलों में फंसाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही हाई कोर्ट में लंबित मामलों को एक साथ सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने की सलाह दे चुका है। इलाहाबाद, मध्य प्रदेश, गुजरात, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और उत्तराखंड हाई कोर्ट में इस संबंध में कई याचिकाएं लंबित हैं।

अब देखना होगा कि 16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट का रुख क्या होता है — क्या यह कानूनों को संवैधानिक मान्यता देता है या निजता और धार्मिक स्वतंत्रता के पक्ष में कोई नई दिशा देता है।

 
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