रुद्रप्रयाग/गोपेश्वर। उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में मौसम का अचानक बदला मिजाज तबाही लेकर आया। गुरुवार को दोपहर बाद केदारघाटी और चमोली जिले के कई हिस्सों में तेज बारिश और ओलावृष्टि ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया।
रुद्रप्रयाग जिले की केदारघाटी में करीब डेढ़ घंटे तक झमाझम बारिश हुई, जिससे भीरी गदेरे का जलस्तर अचानक बढ़ गया और एक वाहन उसकी चपेट में आकर बह गया। हालांकि गनीमत रही कि इसमें किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई। उधर, गौरीकुंड हाइवे बांसवाड़ा के पास मलबा आने से अवरुद्ध हो गया है, जिसे खोलने का काम जारी है।
केदारनाथ धाम में बर्फबारी, बसुकेदार में ओलावृष्टि से बर्बादी
बारिश के साथ-साथ केदारनाथ धाम में हल्की बर्फबारी भी दर्ज की गई, जिससे मौसम अत्यधिक ठंडा हो गया है। बसुकेदार क्षेत्र में भारी ओलावृष्टि से खेतों में खड़ी फसलें तबाह हो गई हैं।
गोपेश्वर में नाले उफने, घरों में घुसा पानी
चमोली जिले में मौसम की मार ने और भी गंभीर रूप ले लिया। गोपेश्वर में नाले बंद होने के कारण गंदा पानी लोगों के घरों में घुस गया। लोअर बाजार और आदर्श विद्या मंदिर मोहल्ले में स्थिति इतनी बिगड़ी कि स्थानीय लोग खुद फावड़े-तसले लेकर नाली साफ करने में जुटे रहे।
गांवों में तबाही का मंजर, काश्तकारों की मेहनत बर्बाद
पोखरी, नैल गांव, नौली, श्रीगढ़, पाटी-जखमाला, कांडई, गुनियाला समेत दर्जनों गांवों में तेज हवाओं के साथ हुई ओलावृष्टि ने गेहूं, जौ, सरसों, प्याज, लहसून और धनिया की फसलों को बुरी तरह बर्बाद कर दिया है। फलदार पेड़ों की टहनियां टूट गईं, जिससे बागवानी को भी भारी नुकसान हुआ है।
किसानों में हताशा, मौसम विभाग की चेतावनी सही साबित
प्रगतिशील काश्तकारों ने कहा है कि लघु किसानों की महीनों की मेहनत पर एक दिन की बारिश ने पानी फेर दिया। मौसम विभाग की दोपहर दो बजे से तेज बारिश और ओलावृष्टि की चेतावनी सटीक साबित हुई, लेकिन इससे बचाव का समय नहीं मिल पाया।
उत्तराखंड में पहाड़ों की सुंदरता इन दिनों प्रकृति की सख्ती से जूझ रही है। खेत-खलिहानों में मायूसी और घरों में तबाही के निशान साफ दिख रहे हैं। शासन-प्रशासन को चाहिए कि तुरंत सर्वे करवाकर प्रभावित किसानों को राहत पहुंचाई जाए।