हरिद्वार: उत्तराखंड ने एक बार फिर देश को राह दिखाते हुए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को देव संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित “समान नागरिक संहिता (UCC)” कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कहा कि यह कानून किसी धर्म, वर्ग या पंथ के खिलाफ नहीं बल्कि समाज में समानता और न्याय को सशक्त करने की दिशा में बड़ा कदम है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है और उत्तराखंड पहला राज्य है जिसने यूसीसी को धरातल पर उतारा है।”
महिलाओं को मिला समान अधिकार
मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया कि UCC के लागू होने से राज्य के सभी नागरिकों के न्यायिक अधिकार समान हो गए हैं। खासकर महिला सशक्तिकरण को नया आधार मिला है — अब कोई भी महिला संपत्ति या उत्तराधिकार के मामलों में भेदभाव की शिकार नहीं होगी।
लिव-इन रिलेशन को भी मिला कानूनी दायरा
यूसीसी में लिव-इन रिलेशनशिप को रजिस्ट्रेशन के तहत लाने का भी प्रावधान किया गया है, जिससे पारदर्शिता और कानूनी संरक्षण दोनों सुनिश्चित होंगे।
अफवाहों से रहें सावधान
मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे यूसीसी के अंतर्गत सभी आवश्यक पंजीकरण अवश्य करवाएं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यूसीसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिससे किसी बाहरी व्यक्ति को उत्तराखंड का मूल निवास प्रमाण पत्र मिल सके। उन्होंने कहा कि कुछ लोग भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सत्य यही है कि यह कानून समान अधिकार और उत्तरदायित्व की भावना को बढ़ावा देने वाला है।
कार्यक्रम में मौजूद रहे कई विशिष्ट अतिथि
इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, दर्जाधारी राज्य मंत्री विनय रोहिला, देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या, दून विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. सुरेखा डंगवाल, उच्च शिक्षा सचिव रंजीत सिन्हा और कई जिलाधिकारी, समाजसेवी, छात्र-छात्राएं एवं जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।