विकास और सम्मान का संकल्प: CM ने राज्यभर की सड़क योजनाओं और शहीदों के सम्मान में बड़े फैसले लिए

 

 

देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के समग्र विकास और वीर सपूतों के सम्मान में एक बार फिर अपनी प्रतिबद्धता का परिचय दिया है। मुख्यमंत्री ने राज्य योजना के अंतर्गत पिथौरागढ़, चमोली, देहरादून और अन्य जिलों की महत्वपूर्ण सड़क परियोजनाओं के लिए करोड़ों की धनराशि स्वीकृत की है, वहीं राज्य के शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर विद्यालयों का नामकरण कर प्रदेशवासियों का दिल जीत लिया।

मुख्यमंत्री ने पिथौरागढ़ के धारचूला क्षेत्र में भारत-नेपाल सीमा पर काली नदी पर निर्माणाधीन 110 मीटर डबल लेन मोटर पुल के नेपाल की ओर (डाउन स्ट्रीम) संपर्क मार्ग के निर्माण हेतु ₹379.41 लाख की स्वीकृति प्रदान की।

इसी तरह देहरादून के मसूरी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत चंद्रोटी की ग्राम पंचायतों में आंतरिक सड़कों के निर्माण के लिए ₹472.81 लाख, चमोली जिले के थराली क्षेत्र में नंदा देवी राज जात यात्रा से जुड़े घाट-रामणी मोटर मार्ग के सुधारीकरण हेतु ₹659.08 लाख, और कीर्तिनगर क्षेत्र में धारी ढुंडसिर मोटर मार्ग पर हॉट मिक्सिंग के लिए ₹697.35 लाख की स्वीकृति दी गई है।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार के केंद्रीय सड़क अवसंरचना निधि (CRIF) के अंतर्गत 12 योजनाओं के लिए ₹453.96 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति भी प्रदान की है।

शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि – स्कूलों के नाम बदलने की ऐतिहासिक पहल

मुख्यमंत्री ने राज्य के वीर शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिए विभिन्न विद्यालयों के नाम परिवर्तन की स्वीकृति दी। इनमें शामिल हैं:

  • रा.इ.का. थाती बूढ़ाकेदार (टिहरी गढ़वाल) का नाम अब शहीद हवलदार बचन सिंह नेगी रा.इ.का. थाती बूढ़ाकेदार होगा।

  • रा.इ.का. दुबचौड़ा (चम्पावत) को नया नाम शहीद लांस नायक विक्रम सिंह रा.इ.का. दुबचौड़ा मिला।

  • रा.इ.का. हटाल (चकराता), देहरादून को अब स्व. पंडित झाऊराम शर्मा रा.इ.का. हटाल के नाम से जाना जाएगा।

  • रा.इ.का. सैंधर (बीरोंखाल), पौड़ी गढ़वाल का नाम अब होगा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. शंभू प्रसाद जोशी रा.इ.का. सैंधर

यह कदम न सिर्फ राज्य के आधारभूत ढांचे को मज़बूत करने की दिशा में निर्णायक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि उत्तराखंड सरकार अपने वीर जवानों और स्वतंत्रता सेनानियों की शहादत को सम्मान देने में कभी पीछे नहीं रहती।

यह केवल योजनाओं की स्वीकृति नहीं, बल्कि उत्तराखंड के भविष्य और आत्मगौरव को सशक्त करने का संकल्प है।

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