पिता की स्मृति में भावुक हुए मुख्यमंत्री धामी, सैनिकों के सम्मान और कल्याण को बताया सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता

 

 

 

टनकपुर:  उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मंगलवार को एक सैनिक सम्मान समारोह में अपने दिवंगत पिता स्व. सूबेदार शेर सिंह धामी को याद करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि आज से पांच वर्ष पूर्व का यही दिन उनके जीवन का सबसे कष्टदायक और दुखद दिन था, जब उन्होंने अपने प्रेरणास्रोत पिता को खो दिया। इस अवसर पर उन्होंने न केवल अपने पिता के जीवन मूल्यों और शिक्षाओं को याद किया, बल्कि प्रदेश में सैनिकों और शहीदों के परिवारों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की भी जानकारी दी।

मुख्यमंत्री धामी ने अपने संबोधन में कहा, “जब मैं पूज्य पिताजी को याद करता हूँ, तो आंखें नम हो जाती हैं, लेकिन गर्व होता है कि उन्होंने जिन मूल्यों की शिक्षा दी, उन्हीं के सहारे मैं जनसेवा की राह पर चल रहा हूँ।” उन्होंने बताया कि उनके पिता ने सेना से रिटायरमेंट के बाद एक प्राइमरी स्कूल की स्थापना की थी, जहां गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जाती थी। उन्होंने पिताजी के उस कथन को भी साझा किया, जिसमें कहा गया था, “देश सेवा केवल वर्दी पहनकर नहीं होती, बल्कि हर कर्तव्य का ईमानदारी से निर्वहन भी देश सेवा है।”

धामी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की सेना को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में जिस तरह कार्य हो रहा है, वह हर सैनिक पुत्र के लिए गर्व की बात है। उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा सैनिकों और उनके आश्रितों के कल्याण के लिए किए गए कई महत्वपूर्ण निर्णयों की जानकारी दी:

  • शहीदों के परिजनों को मिलने वाली अनुग्रह राशि ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹50 लाख की गई।

  • वीरता पुरस्कार प्राप्त सैनिकों को मिलने वाली एकमुश्त और वार्षिक सहायता राशि में वृद्धि।

  • बलिदानी सैनिकों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी में समायोजित करने का निर्णय।

  • नौकरी के लिए आवेदन की समय सीमा 2 वर्ष से बढ़ाकर 5 वर्ष।

  • वीरता पुरस्कार प्राप्त सैनिकों और पूर्व सैनिकों को सरकारी बसों में निःशुल्क यात्रा की सुविधा।

  • सेवारत व पूर्व सैनिकों को 25 लाख तक की संपत्ति पर स्टांप ड्यूटी में 25% की छूट।

मुख्यमंत्री ने बताया कि देहरादून के गुनियाल गांव में उत्तराखंड के शहीदों की स्मृति में “सैन्य धाम” का निर्माण अंतिम चरण में है, जो राज्य के वीर सैनिकों की बहादुरी और बलिदान की जीवंत गाथा के रूप में स्थापित होगा। उन्होंने टनकपुर-बनबसा-खटीमा क्षेत्र में भूमि उपलब्ध होने पर एक और सैन्य धाम बनाए जाने की घोषणा की।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने चंपावत, नैनीताल और उधमसिंहनगर के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी और वीर नारियों व वीरांगनाओं को सम्मानित किया। इस दौरान उन्होंने अपने दिवंगत पिता के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

कार्यक्रम में सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा, “28 नदियों के जल और शहीदों के घर की मिट्टी से बना देहरादून का सैन्य धाम उत्तराखंड के लिए गर्व का प्रतीक है। शहीदों के परिवारों को सरकारी नौकरी और वीरांगनाओं की पेंशन में वृद्धि जैसे कदम धामी सरकार की संवेदनशीलता का प्रमाण हैं।”

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