पौड़ी जिले के कोट ब्लॉक के सितोनस्यूं क्षेत्र में धार्मिक महत्व को उजागर करने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय लोगों ने खुद ही बीड़ा उठा लिया है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने कार्यकाल के दौरान इस क्षेत्र को ‘सीता सर्किट’ के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी, लेकिन वह अब तक धरातल पर नहीं उतर सकी।
अब, स्थानीय लोगों ने एक समिति का गठन कर इसे धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की पहल शुरू कर दी है। ‘सीता माता परिपथ (सर्किट) समिति’ के नेतृत्व में देवप्रयाग से प्रारंभ हुई यात्रा कोटसाड़ा में रात्रि विश्राम के लिए पहुंची। समिति के अध्यक्ष सुनील लिंगवाल ने बताया कि इस यात्रा का आयोजन पहली बार पिछले वर्ष किया गया था, जिसका उद्देश्य क्षेत्र के धार्मिक महत्व को जन-जन तक पहुंचाना है। इस वर्ष भी यात्रा ने देवप्रयाग से शुरू होकर विधाकोटी, मुछियाली, और अन्य धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया।
मुछियाली में स्थित 600 वर्ष पुराने मां सीता के मंदिर का विशेष महत्व है और समिति ने इस मंदिर के प्रचार-प्रसार पर जोर दिया है। संयोजक अनसूया प्रसाद सुन्द्रियाल ने कहा कि जिस तरह अयोध्या में भगवान श्रीराम की पूजा होती है, उसी प्रकार सितोनस्यूं में मां सीता की पूजा की जाती है। उनका मानना है कि इस क्षेत्र के धार्मिक महत्व को व्यापक स्तर पर प्रचारित करना आवश्यक है, ताकि यहां आने वाले समय में श्रद्धालु मां सीता के दर्शन के लिए पहुंचें।
सितोनस्यूं क्षेत्र में लक्ष्मण जी, महर्षि वाल्मीकि और अन्य धार्मिक स्थलों का संगम है, जिसे सर्किट के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। इस प्रयास से न केवल धार्मिक पर्यटन में बढ़ोतरी होगी, बल्कि क्षेत्र में व्यवसायिक गतिविधियां बढ़ेंगी और पलायन पर भी अंकुश लगेगा।
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सितोनस्यूं क्षेत्र में लक्ष्मण जी, महर्षि वाल्मीकि और अन्य धार्मिक स्थलों का संगम है, जिसे सर्किट के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। इस प्रयास से न केवल धार्मिक पर्यटन में बढ़ोतरी होगी, बल्कि क्षेत्र में व्यवसायिक गतिविधियां बढ़ेंगी और पलायन पर भी अंकुश लगेगा।