नई दिल्ली। भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था के आधुनिकीकरण और विश्व मंच पर सशक्त उपस्थिति दिलाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को खो दिया। गुरुवार को दिल्ली के एम्स में उन्होंने 92 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। उनके निधन पर 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है।
ओबामा के शब्द: ‘जब मनमोहन सिंह बोलते हैं, पूरी दुनिया सुनती है’
डॉ. सिंह की काबिलियत को न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया ने सराहा। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी किताब ‘A Promised Land’ में उन्हें भारत की अर्थव्यवस्था के आधुनिकीकरण का इंजीनियर बताया। उन्होंने कहा था, “जी20 समिट में जब मनमोहन सिंह बोलते हैं, तो लोग ध्यान से सुनते हैं।”
परमाणु डील: अडिग नेतृत्व की मिसाल
डॉ. सिंह को अमेरिका से ऐतिहासिक न्यूक्लियर डील लाने के लिए भी याद किया जाएगा। भारी राजनीतिक विरोध के बावजूद, उन्होंने इस डील को सफलतापूर्वक पूरा किया। उनकी दृढ़ता ने भारत को न्यूक्लियर क्लब में ऊंचा स्थान दिलाया और अमेरिका के साथ संबंधों को प्रगाढ़ बनाया।
राजनीतिक विरोध और दृढ़ निश्चय
न्यूक्लियर डील के दौरान न केवल विपक्ष, बल्कि कांग्रेस के अंदर भी विरोध था। यहां तक कि सोनिया गांधी भी इस डील के खिलाफ थीं। लेफ्ट फ्रंट ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया, लेकिन डॉ. सिंह अपने निर्णय पर अडिग रहे। संजय बारू की किताब ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ के अनुसार, “इस समझौते ने मनमोहन सिंह को सोनिया गांधी की छाया से बाहर एक सशक्त नेता के रूप में स्थापित किया।”
एक युग का अंत
डॉ. मनमोहन सिंह न केवल भारत के प्रधानमंत्री थे, बल्कि सादगी, गरिमा और ज्ञान का प्रतीक भी थे। उनकी आर्थिक नीतियों और राजनीतिक समझदारी ने भारत को नई दिशा दी। देश ने एक महान नेता खो दिया, जिनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।