नई दिल्ली : जब भारतीय वायुसेना की मिसाइलों ने पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों को रात के अंधेरे में तबाह किया, तब एक नाम राजनीतिक और कूटनीतिक गलियारों में तेजी से गूंजने लगा — विक्रम मिसरी, भारत के वर्तमान विदेश सचिव। ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति और वैश्विक संदेश की बुनियाद जिस सधे हुए नेतृत्व में रखी गई, उसमें मिसरी की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
हर चुनौती के पीछे एक सटीक रणनीतिकार — विक्रम मिसरी
1989 बैच के IFS अधिकारी, श्रीनगर में जन्मे विक्रम मिसरी आज भारत की विदेश नीति के सबसे परिपक्व चेहरों में गिने जाते हैं। PMO से लेकर चीन तक, और NSA कार्यालय से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक, उनकी रणनीति में स्पष्टता और संतुलन दोनों दिखते हैं। उन्होंने तीन प्रधानमंत्रियों — आई.के. गुजराल, डॉ. मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी — के निजी सचिव के रूप में काम किया है, जिससे उनके राजनीतिक अनुभव की गहराई का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
कूटनीतिक अनुभवों की लंबी फेहरिस्त
ब्रसेल्स, वाशिंगटन, इस्लामाबाद, म्यूनिख, ट्यूनिस और बीजिंग जैसे महत्वपूर्ण स्थलों पर भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले मिसरी चीन में भारत के राजदूत और उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी रह चुके हैं। म्यांमार, स्पेन और श्रीलंका में भी उन्होंने भारत की विदेश नीति को मजबूती से आगे बढ़ाया।
पढ़ाई, निजी जीवन और शुरुआत
सिंधिया स्कूल, हिंदू कॉलेज और XLRI जैसे संस्थानों से शिक्षित मिसरी का सफर विज्ञापन की दुनिया से शुरू हुआ था। तीन वर्षों तक लिंटास और कॉन्ट्रैक्ट जैसी बड़ी विज्ञापन एजेंसियों में काम करने के बाद वे IFS में शामिल हुए। वे धाराप्रवाह हिंदी, अंग्रेज़ी और कश्मीरी बोलते हैं और फ्रेंच पर भी अच्छी पकड़ रखते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर और मिसरी की भूमिका
भारत के इस सर्जिकल एयर स्ट्राइक के बाद दुनिया की निगाहें भारत की प्रतिक्रिया और उसकी कूटनीतिक सफाई पर थीं। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने एक ओर जहां वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को मज़बूती से रखा, वहीं यह भी सुनिश्चित किया कि पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश मिले — आतंक का कोई ठिकाना अब सुरक्षित नहीं।
जहां भारत की सेना सीमाओं पर आतंकी ठिकानों को मटियामेट कर रही है, वहीं विक्रम मिसरी जैसे राजनयिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूती से साध रहे हैं। वे उस शांति के वास्तुकार हैं, जो शक्ति के संतुलन से निकलती है।