देहरादून: राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तराखंड ने आगामी नगर निकाय चुनाव के लिए पोस्टल बैलेट पेपर (डाक मतपत्र) से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। इसमें “सेवा नियोजित” मतदाताओं की परिभाषा और उनके अधिकारों का विस्तृत विवरण दिया गया है।
“सेवा नियोजित” का मतलब क्या है?
“सेवा नियोजित” उन निर्वाचकों को संदर्भित करता है जो प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल हैं और निम्नलिखित श्रेणियों में आते हैं:
- भारतीय सशस्त्र बलों के सदस्य।
- केंद्रीय अर्धसैनिक बल के सदस्य।
- किसी राज्य के सशस्त्र बल का ऐसा सदस्य, जो राज्य से बाहर सेवा दे रहा है।
- ऐसे सशस्त्र बल का सदस्य, जिस पर आर्मी एक्ट, 1950 लागू होता है।
पोस्टल बैलेट पेपर जारी करने की प्रक्रिया
निर्वाचन आयोग ने निर्देश दिए हैं कि इन श्रेणियों के मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलेट पेपर के वितरण और संबंधित प्रक्रियाओं का पालन किया जाए। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि सेवा में लगे मतदाता अपने मताधिकार का सही तरीके से उपयोग कर सकें।
चुनाव प्रक्रिया में कोई अवकाश नहीं
निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, नामांकन प्रक्रिया रविवार, 29 दिसंबर 2024 को भी जारी रहेगी। यह कदम निर्वाचन प्रक्रिया की सुचारुता और समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
चुनाव आयोग का उद्देश्य
राज्य निर्वाचन आयोग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सेवा में कार्यरत मतदाताओं के लिए डाक मतपत्र की सुविधा से उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उनकी भूमिका सशक्त होगी।
निष्कर्ष
उत्तराखंड निकाय चुनावों में सेवा नियोजित मतदाताओं के लिए डाक मतपत्र एक प्रभावी साधन साबित होगा, जो उनकी भागीदारी को सरल और सुगम बनाएगा। निर्वाचन आयोग की यह पहल चुनावों को समावेशी और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।