“संस्कृति, विकास और आस्था का संगम: मुख्यमंत्री ने वर्चुअली किया पुगराऊँ महोत्सव का शुभारंभ, 5 लाख की सहायता राशि की घोषणा”

 

 

 



TMP: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को सचिवालय से वर्चुअल माध्यम से पुंगराऊँघाटी महोत्सव समिति पाँखु, पिथौरागढ़ द्वारा आयोजित तीन दिवसीय पुगराऊँ महोत्सव का शुभारंभ किया। यह आयोजन आदिशक्ति माँ कोकिला कोटगाड़ी भगवती के आशीर्वाद से प्रारंभ हुआ, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय लोकसंस्कृति, खेल-कूद, शिक्षा और स्थानीय प्रतिभाओं को मंच देना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह महोत्सव सिर्फ मनोरंजन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी परंपराओं को जीवंत रखने और युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़ने का सशक्त माध्यम भी है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि शीघ्र ही वे स्वयं माँ कोटगाड़ी भगवती के दर्शन के लिए क्षेत्र का दौरा करेंगे।

विकास योजनाओं की घोषणा

मुख्यमंत्री ने क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए थल-धरमघर-पांखू मोटर मार्ग के निर्माण और बंद आई.टी.आई. को पुनः संचालित करने का आश्वासन दिया। साथ ही, महोत्सव के सफल आयोजन हेतु 5 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा भी की।

गाँवों के उत्थान की प्रतिबद्धता

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि सरकार का ध्यान केवल शहरी विकास पर नहीं, बल्कि गाँवों को भी सशक्त बनाने पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और अमृत मिशन जैसी योजनाओं से उत्तराखंड के दूरस्थ गाँवों को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।

पर्यटन और आर्थिक मजबूती

पर्यटन को ग्रीन इकोनॉमी के रूप में विकसित करने की पहल के तहत होम स्टे योजना और जैविक उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे ग्रामीण महिलाओं को सीधा लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा, “अब पहाड़ की बेटियां सिर्फ घर तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि पर्यटन उद्यमी बनकर प्रदेश का नाम रोशन करेंगी।”

धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को सशक्त करने की योजना

राज्य सरकार मानस खंड मंदिर माला मिशन के तहत कुमाऊं मंडल के प्राचीन मंदिरों को संवारने के कार्य में जुटी है। माँ कोटगाड़ी मंदिर को इस मिशन के दूसरे चरण में शामिल कर उसे विकसित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब श्रद्धालु इन धार्मिक स्थलों पर आएंगे, तो इससे स्थानीय व्यापार, रोजगार और आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा

महिलाओं के लिए बड़े अवसर

महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए लखपति दीदी योजना के तहत गाँवों की महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। पहाड़ों की महिलाएँ हर्बल खेती, जैविक उत्पाद, बागवानी और लोक कला के जरिए अपनी पहचान बना रही हैं। सरकार ‘वोकल फॉर लोकल’ के तहत ‘एक जनपद, दो उत्पाद’ योजना से स्वरोजगार के अवसर भी बढ़ा रही है।

संस्कृति, विकास और आस्था का यह संगम सिर्फ एक महोत्सव नहीं, बल्कि उत्तराखंड की आत्मनिर्भरता और समृद्धि की ओर बढ़ते कदमों की गवाही भी है।

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