मोदी सरकार ने लोकसभा-विधानसभा मे महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की है लेकिन उत्तराखंड की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है। उत्तराखंड विधानसभा की बात करें तो वर्तमान विधानसभा की 70 सीटों में मात्र 8 महिला विधायक हैं जबकि लोकसभा में एक भी नही है।
2007 के चुनाव में 4 और 2017 के चुनाव में सिर्फ 5 महिला विधायक
उत्तराखंड का निर्माण महिलाओं की ताकत से ही हुआ है। वर्ष 2002 और 2007 में 4-4 महिलाएं विधानसभा मे जीत कर आई जबकि 2012 और 2017 के चुनाव में 5-5 विधायक ही बन पायी हैं। चौकाने वाला तथ्य ये भी है कि उत्तराखंड राज्य 9 नवम्बर 2000 को अस्तित्व में आया जिसके बाद हुए चुनाव में भाजपा, कांग्रेस व अन्य दलों ने 927 लोगों को टिकट दिया था। जिसमे महिलाओं की संख्या 72 थी। जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियों ने 637 लोगों को उम्मीदवार बनाया जिसमें महिलाओं की संख्या 22 थी। 2022 के विधानसभा में महिलाओ की संख्या केवल 8 है।
उत्तराखंड में लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं की स्थिति बड़ी खराब है। हालांकि पंचायत चुनावों में महिलाओं की स्थिति बड़ी मजबूत है परंतु इसका भी एक मात्र कारण है ‘आरक्षण’ हैं।
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