जोहान्सबर्ग में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान PM मोदी एवं चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं के बीच मौजूदा सीमा विवाद का शीघ्रता से समाधान करने पर सहमति भी बनी। मगर अब यह कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया है कि इस मुलाकात की पहल किसकी तरफ से हुई थी?
मोदी-चिनफिंग मुलाकात के बाद तुरंत बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया था कि PM मोदी के आग्रह पर इसका आयोजन किया गया था। जिसके जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मुलाकात का आग्रह पहले चीनी पक्ष ने किया था जो लंबित था और यह मुलाकात उसी का नतीजा है।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार , ‘मोदी और चिनफिंग के बीच यह मुलाकात अनौपचारिक तौर पर ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान ही लाउंज में हुई।’ वैसे दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के स्तर पर उपजे इस विवाद का सीमा पर तनाव समाप्त करने की कोशिशों पर किसी तरह का असर पड़ने की संभावना नहीं है। सात ही दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच पिछले छह दिनों से सीमा विवाद के बचे हुए विवादों के समाधान को लेकर जो बातचीत चल रही थी वो गुरुवार को समाप्त हुई है। माना जा रहा है कि मई, 2020 में चीनी सैनिकों के भारत के पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में घुसने से जो विवाद शुरू हुआ था, उसको समाप्त करने को लेकर एक सहमति बनी है। इसकी घोषणा जल्द किए जाने की संभावना है।
चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है, ’23 अगस्त, 2023 को ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बात की। यह मुलाकात प्रधानमंत्री मोदी के आग्रह पर हुई। दोनों नेताओं के बीच काफी स्पष्ट तरीके से और गहरी बातचीत हुई।
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