यूनिफॉर्म सिविल कोड को उत्तराखंड में लागू करने के सम्बंध में कमेटी 6 महीने के भीतर सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी। प्रदेश में यूनिफार्म सिविल कोड के लिए जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में 5 सदस्यों की एक कमेटी गठित की गई है जिसे गृह विभाग ने समान नागरिक अधिकार लागू करने के सम्बंध में गाईडलाईन जारी कर दी है।
कमेटी कानूनों का ड्राफ्ट करेगी तैयार
अपर मुख्य सचिव राधा रतूडी ने इस सम्बंध में एक आदेश जारी किया है जिसके मुताबिक गठित कमेटी उत्तराखंड के सभी समुदायों के व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रण करने वाले कानूनों का ड्राफ्ट तैयार करेगी।
गृह विभाग व पुलिस मुख्यालय उठाएंगे कमेटी का खर्चा
आदेश के अनुसार राज्य में गठित यूनिफॉर्म सिविल कोड कमेटी के दिल्ली और देहरादून में कार्यालय खोले जाएंगे। साथ ही कमेटी के सदस्यों का वेतन और सुविधाएं भी तय कर ली गयी हैं। दिल्ली में ये जिम्मेदारी स्थानीय आयुक्त को जबकि देहरादून में ये जिम्मेदारी राज्य सम्पति विभाग को सौंपी गई है। कमेटी का सारा खर्चा गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय उठायेगा।
फैसले पर उठने लगे सवाल
सरकार के कमेटी कर्यालय दिल्ली मे खोलने को लेकर स्थानीय नागरिकों ने सवाल खड़े करने शुरू कर दिये। ट्वीटर पर यूजर्स अपनी प्रतिक्रिया साझा करते हुए कह रहे हैं कि अगर कानून उत्तराखंड के लिए बनना है तो कमेटी कार्यालय दिल्ली मे खोलने का क्या औचित्य है। साथ ही लोगों का मानना है कि एक ऐसे राज्य, जिसकी जीडीपी का 70% हिस्सा सरकारी कार्यो की व्यवस्था मे ही खर्च हो जाता है और जहां प्रतिव्यक्ति कर्ज 90000 के ऊपर हो। उस पर कानून बनाने के नाम पर एक ही कार्य के लिए दो-दो कमेटी कार्यालय बनाने से राज्य पर अतिरिक्त खर्च डाला जा रहा है। लोगों का मानना है कि ये ऐसा ही फैसला है जैसे पहाड़ के विकास का मॉडल पहाड़ मे नहीं वरन दिल्ली मे बैठकर तैयार करना।