- बूंदी से गर्ब्यांग तक बनेगी 6 किमी लंबी टनल
- सामरिक मजबूती के साथ खुलेगा पर्यटन का द्वार
TMP (धारचूला) : भारत-चीन सीमा तक निर्बाध पहुंच के लिए तवाघाट-लिपुलेख राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-9) पर अब एक अहम परिवर्तन होने जा रहा है। बूंदी से गर्ब्यांग तक लगभग 6 किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण प्रस्तावित है, जिससे यह संवेदनशील मार्ग वर्ष भर खुला रह सकेगा। इससे न सिर्फ भारतीय सेना और अर्धसैन्य बलों की आवाजाही आसान होगी, बल्कि पर्यटन, व्यापार और सीमावर्ती गांवों के विकास को भी नई गति मिलेगी।
बर्फबारी और भूस्खलन की बाधाओं से मुक्ति
बूंदी से शुरू होने वाला यह मार्ग उच्च हिमालयी क्षेत्र में आता है, जो मानसून और सर्दियों में भारी भूस्खलन और हिमपात के कारण अक्सर बंद हो जाता है। छियालेख से गर्ब्यांग के बीच का क्षेत्र दलदल में तब्दील हो जाता है, जिससे यातायात प्रभावित होता है। सुरंग बनने से यह समस्या स्थायी रूप से हल हो जाएगी।
सामरिक और पर्यटन के लिहाज से अहम बदलाव
सुरंग बनने से कैलास मानसरोवर, आदि कैलास, ओम पर्वत जैसी धार्मिक और पर्यटन स्थलों तक पहुंचना आसान हो जाएगा। वहीं भारत-चीन सीमा पर सैन्य तैयारियों के लिहाज से भी यह परियोजना रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है।
एल्टीनाथ कंस्ट्रक्शन ने किया प्रारंभिक सर्वे
दिल्ली की एल्टीनाथ कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा सुरंग निर्माण के लिए प्रारंभिक सर्वेक्षण पूरा कर लिया गया है। बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) की जानकारी के अनुसार, खोसा से गर्ब्यांग के कौक्स्यों तक विस्तृत सर्वे किया जा चुका है। परियोजना को दो-तीन वर्षों में पूर्ण करने का लक्ष्य है।
ग्रामीणों की आपत्तियों पर होगी बैठक
सुरंग निर्माण को लेकर बूंदी और गर्ब्यांग के ग्रामीणों के साथ जल्द ही बैठक आयोजित की जाएगी। ग्रामीणों की मांग है कि पूर्व में चयनित खोसा से सुरंग बनाई जाए, न कि वर्तमान में प्रस्तावित नए स्थान से। ग्रामीणों ने पत्थरों और बोल्डर गिरने की आशंका जताई है। इस पर जनसुनवाई भी की जा चुकी है, और उनके सुझावों को संज्ञान में लिया गया है।
भाजपा नेता योगेश गर्ब्याल ने कहा कि टनल बनने से व्यास घाटी का तीव्र विकास होगा और स्थानीय लोगों के लिए शीतकालीन पर्यटन कारोबार के नए अवसर खुलेंगे।
परियोजना के प्रमुख तथ्य:
-
सुरंग लंबाई: लगभग 6 किलोमीटर
-
मार्ग: बूंदी से गर्ब्यांग (NH-9)
-
उद्देश्य: यातायात की सतत सुविधा, सामरिक पहुंच, पर्यटन और व्यापारिक विकास
-
कार्यदायी संस्था: एल्टीनाथ कंस्ट्रक्शन कंपनी
-
परियोजना निगरानी: सीमा सड़क संगठन (BRO)
इस सुरंग के निर्माण से जहां सामरिक क्षेत्र को मजबूती मिलेगी, वहीं सीमावर्ती क्षेत्र में आर्थिक और सामाजिक विकास की रफ्तार भी बढ़ेगी। स्थानीय लोगों की भागीदारी और सहयोग से यह परियोजना क्षेत्रीय विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है।