जंग का फैसला भावनाओं से नहीं, रणनीति से हो” – अजय बिसारिया की चेतावनी, सुशांत सरीन बोले: ‘मिसाइलें गिरीं तो दिल्ली भी असुरक्षित’

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एएनआई:  पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच जंग की अटकलें तेज हो गई हैं। देशभर में बदले की भावनाएं उबाल पर हैं, लेकिन पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त अजय बिसारिया ने जंग को लेकर जनभावनाओं से प्रभावित होने के खिलाफ आगाह किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि युद्ध का निर्णय ‘जनता के मूड’ पर नहीं, ठोस रणनीति पर आधारित होना चाहिए।

एएनआई पॉडकास्ट में बातचीत के दौरान बिसारिया ने कहा कि किसी भी सैन्य ऑपरेशन में तीन चीजें बेहद अहम होती हैं—

1. Speed (गति)

2. Surprise (चौंकाना)

3. Secrecy (गोपनीयता)

साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि सही समय चुनना बेहद महत्वपूर्ण है और यह समय जनता की भावनाओं पर आधारित नहीं होना चाहिए।

“अपने दम पर लड़ेगा भारत”

2017 से 2020 तक पाकिस्तान में भारतीय मिशन का हिस्सा रहे अजय बिसारिया ने चेताया कि अगर युद्ध हुआ तो भारत को इसे अकेले अपने दम पर लड़ने के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा—

“खराब से खराब स्थिति के लिए मानसिक और सामरिक तैयारी ज़रूरी है। राजनीतिक इच्छाशक्ति, राष्ट्रीय एकता और सैन्य क्षमता— यही किसी युद्ध की असली ताकत होती है।”

“अगर मिसाइलें गिरीं तो दिल्ली भी सुरक्षित नहीं”

सामरिक मामलों के विशेषज्ञ सुशांत सरीन ने भी हालात को लेकर गंभीर चिंता जताई। उनका कहना है कि अगर हालात इस हद तक बिगड़े कि दोनों देश एक-दूसरे के शहरों पर मिसाइलें बरसाने लगें, तो इस्लामाबाद और लाहौर की तरह दिल्ली भी असुरक्षित हो जाएगी। उन्होंने कहा—

“हमें जनता को तैयार करना होगा कि हर कार्रवाई की एक बड़ी कीमत होती है।”

 

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रूस और चीन को लेकर चेतावनी

सुशांत सरीन ने भारत-रूस साझेदारी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा—

“हम हमेशा रूस पर भरोसा करते हैं, लेकिन अगर कल चीन भारत के खिलाफ खड़ा हो गया, तो क्या रूस हमारा साथ देगा?”

उनका इशारा साफ था कि भविष्य के युद्ध में केवल पुराने गठजोड़ों पर भरोसा करना जोखिमभरा हो सकता है।

पाकिस्तान यूट्यूब चैनल बैन पर समर्थन

सरीन ने भारत सरकार द्वारा पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों पर बैन लगाने के फैसले का समर्थन किया। उन्होंने कहा—

“ये चैनल भारतीय व्यूअरशिप से पैसे कमा रहे थे और उसी से भारत के खिलाफ जहर फैला रहे थे। बैन बिल्कुल सही फैसला है।”

भारत-पाकिस्तान के मौजूदा हालात सिर्फ सैनिक जवाब नहीं, बल्कि रणनीतिक सोच, वैश्विक संतुलन और सार्वजनिक तैयारी की मांग कर रहे हैं। युद्ध सिर्फ हथियारों से नहीं, समझदारी से भी लड़ा और जीता जाता है।

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