लेक्स फ्रिडमैन के पॉडकास्ट में पीएम मोदी: जीवन, विचारधारा और विश्व दृष्टिकोण पर खुली बातचीत

 

 

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में मशहूर पॉडकास्टर और MIT रिसर्च साइंटिस्ट लेक्स फ्रिडमैन के पॉडकास्ट में शामिल हुए, जहां उन्होंने अपने जीवन, आध्यात्मिक सफर, राजनीति और वैश्विक मुद्दों पर खुलकर बात की। इस तीन घंटे की चर्चा में प्रधानमंत्री मोदी ने बचपन से लेकर हिमालय यात्रा, संन्यास के विचार, RSS से जुड़ाव, हिंदू राष्ट्रवाद, भारत-पाक संबंध, चीन नीति, लोकतंत्र, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), शिक्षा और ध्यान जैसे अहम विषयों पर अपनी बेबाक राय रखी।

“140 करोड़ भारतीय मेरी ताकत” – पीएम मोदी

इस पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मेरा आत्मविश्वास 140 करोड़ भारतीयों की शक्ति से आता है। मैं केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि इस महान देश की सामूहिक ऊर्जा और संकल्प का प्रतिनिधि हूं।”

RSS पर विचार: “संघ से जीवन का उद्देश्य सीखा”

PM मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से अपने जुड़ाव पर कहा,

“RSS को समझना आसान नहीं है। यह संगठन समाज सेवा को ही ईश्वर की सेवा मानता है। यहां मैंने जीवन के उद्देश्य को पहचाना और सीखा कि राष्ट्र सर्वोपरि है।”

उन्होंने बताया कि RSS शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़ा योगदान दे रहा है, जिसके तहत ‘विद्या भारती’ जैसे संगठन करीब 25,000 स्कूलों के माध्यम से लाखों छात्रों को शिक्षित कर रहे हैं।

परिवार और बचपन की यादें

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने माता-पिता की सादगी और अनुशासन को याद करते हुए कहा,

“मेरे पिता सुबह 4:30 बजे घर से निकलते, मंदिरों में जाते और फिर अपनी दुकान पर काम करते। गांव के लोग उनके जूतों की ‘टक-टक’ आवाज़ से पहचान जाते थे कि ‘दामोदर आ रहे हैं।’”

भारत-पाक, चीन और वैश्विक राजनीति पर विचार

इस चर्चा में प्रधानमंत्री ने भारत-पाकिस्तान संबंधों, चीन नीति और वैश्विक शांति प्रयासों पर भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि भारत शांति का समर्थक है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा।

लेक्स फ्रिडमैन कौन हैं?

लेक्स फ्रिडमैन MIT में शोध वैज्ञानिक हैं और ‘The Lex Fridman Podcast’ के होस्ट हैं, जिनके YouTube चैनल पर 4.5 मिलियन से ज्यादा सब्सक्राइबर और 820 मिलियन व्यूज हैं।

यह पॉडकास्ट क्यों खास है?

PM मोदी का यह इंटरव्यू न सिर्फ उनके जीवन और सोच को गहराई से समझने का मौका देता है, बल्कि भारत के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और तकनीकी विकास को लेकर उनकी सोच को भी सामने रखता है। क्या यह बातचीत भारत की वैश्विक छवि को नए आयाम देगी? यह देखने वाली बात होगी।

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