टिहरी बांध की झील का बढ़ता जलस्तर उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ क्षेत्र में गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। हाल ही में विकासखंड रोड का लगभग दस मीटर हिस्सा झील में समा गया, जिससे आवासीय भवनों में भी नई दरारें उभरने लगी हैं। स्थानीय लोगों के बीच भय और चिंता का माहौल व्याप्त है, क्योंकि उनके घरों और जीवन पर संकट मंडरा रहा है।
यह समस्या कोई नई नहीं है। पहले भी कई बार टिहरी झील के जलस्तर में वृद्धि से तटवर्ती इलाके कटाव का शिकार हो चुके हैं। 2007-08 में जब झील का जलस्तर 830 मीटर तक पहुंचा था, तब जोगत रोड के 60 भवन, दुकानें और देवीसौड़ की सहकारी समिति का भवन झील में समा गए थे। परंतु, इन घटनाओं के बावजूद प्रभावितों को अब तक उचित मुआवजा नहीं मिला है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि टीएचडीसी (टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन) द्वारा कोई ठोस सुरक्षात्मक कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। जोगत रोड निवासी उपेंद्र बिष्ट, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष शूरवीर रांगड़ और व्यापार मंडल अध्यक्ष कृष्णा नौटियाल ने टीएचडीसी से आर्च ब्रिज तक सड़क का पुनर्निर्माण और सुरक्षा के लिए तत्काल उपाय करने की मांग की है।
वहीं, पुनर्वास विभाग के अधिकारी ए.पी. चमोली का कहना है कि टीएचडीसी को सुरक्षात्मक कदम उठाने के लिए पत्राचार किया जाएगा। लेकिन तब तक, स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ती जा रही है क्योंकि उनका मानना है कि उनकी सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले कदम देर से आ रहे हैं।
इस आपदा से जूझ रहे क्षेत्र के निवासियों का दर्द और टीएचडीसी के खिलाफ बढ़ते आक्रोश को देखते हुए यह स्पष्ट है कि इस संकट का स्थायी समाधान जल्द से जल्द निकलना जरूरी है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।