उत्तराखंड सरकार का बड़ा फैसला: अब राज्य कर्मचारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रमों में ले सकेंगे भाग

 

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य कर्मचारियों के लिए बड़ा फैसला लेते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रमों में भाग लेने की छूट प्रदान की है। अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन द्वारा जारी आदेश के अनुसार, राज्य के कर्मचारी अब सुबह और शाम आयोजित होने वाली आरएसएस की शाखाओं और सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल हो सकेंगे। यह निर्णय कर्मचारी आचरण नियमावली के उल्लंघन के तहत नहीं आएगा।

कब और कितने साल रहा प्रतिबंध 

आपको बता दें कि 58 साल पहले ,  30 नवंबर 1966 में केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इंदिरा गांधी के शासन के दौरान लगाए गए प्रतिबंध को नौ जुलाई को एक आदेश के अनुसार हटा दिया। 

फैसला बना सकता है विवाद की वजह

राज्य सरकार के इस फैसले के बाद विवाद खड़ा होने की संभावना है। आरएसएस भले ही राजनीतिक संगठन नहीं है, लेकिन इसे भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा के निकट माना जाता है। ऐसे में विपक्षी दल इस निर्णय का विरोध कर सकते हैं, और इसे राजनीतिक लाभ से प्रेरित मान सकते हैं।

कर्मचारियों के लिए राहत भरा कदम

भाजपा सरकार के इस फैसले से उन राज्य कर्मचारियों को बड़ी राहत मिलेगी, जो आरएसएस की शाखाओं में शामिल होना चाहते थे, लेकिन आचरण नियमावली के कारण शामिल नहीं हो पा रहे थे। अब वे बिना किसी प्रतिबंध के इन कार्यक्रमों में अपनी सहभागिता दर्ज कर सकते हैं।

शर्तों का पालन अनिवार्य

हालांकि, आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि आरएसएस के कार्यक्रमों में शामिल होने की छूट तभी मान्य होगी जब इससे उनके सरकारी कर्तव्य या दायित्व में कोई बाधा न उत्पन्न हो। कर्मचारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी कार्यालय समय से पहले या बाद में ही भाग लें।

विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया

राज्य सरकार के इस फैसले पर विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है। वे इस निर्णय को सरकारी कर्मचारियों के राजनीतिकरण के प्रयास के रूप में देख सकते हैं और इसे सरकारी आचरण नियमावली के साथ खिलवाड़ मान सकते हैं।

जबकि उत्तराखंड सरकार का यह निर्णय कर्मचारियों के लिए एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन राजनीतिक विवादों की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। आने वाले दिनों में इस फैसले पर प्रतिक्रियाओं और बहस का दौर देखने को मिल सकता है। 

(Visited 289 times, 1 visits today)