मंदिरों के डिजिटाइजेशन पर तीर्थ पुरोहितों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोलना शुरू कर दिया है। श्री मंदिर मोबाइल ऐप को तीर्थ पुरोहितों ने केवल पैसा कमाने का जरिया बताया और कहा की मंदिर में अलग अनुभूति का एहसास होता है, जो की मोबाइल ऐप के जरिए नहीं पाया जा सकता। यही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि मंदिरों का डिजिटाइजेशन होने से इसका असर तीर्थ पुरोहितों के रोजगार पर भी पड़ेगा।
मोबाइल ऐप को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए बढ़ावा
मोबाइल ऐप के जरिए ही घर बैठे हो रही पूजा अर्चना का हरिद्वार तीर्थ पुरोहितों ने कड़ा विरोध किया है। दरअसल श्री मंदिर मोबाइल ऐप में उत्तराखंड समेत कई राज्यों के मंदिरों को इस ऐप में सम्मिलित किया गया है। जिसके जरिए घर बैठे ही पूजा अर्चना व मंदिरों की जानकारी मिल पा रही है। यही नहीं श्रद्धालु घर बैठे ही मंदिर में होने वाली रोजाना की पूजा अर्चना की भी जानकारी ले पा रहे हैं। जिसका तीर्थ पुरोहित पुरजोर विरोध कर रहे हैं। तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि भगवान के दर्शन के लिए मंदिर जाकर एक अलग पॉजिटिव एनर्जी का आभास होता है जो की किसी ऐप के जरिए नहीं प्राप्त किया जा सकता।
दान दक्षिणा देने से मोबाइल कंपनी कमाएगी पैसा
यही नहीं उनका कहना है कि मोबाइल ऐप से मंदिरों के दर्शन कर दान दक्षिणा देने से मोबाइल कंपनी पैसा कमाएगी जिससे कि तीर्थ पुरोहितों के रोजगार पर भी इसका असर पड़ेगा। उनका यह भी कहना है कि धार्मिक स्थलों का अपना एक अलग महत्व होता है जहां जाकर मन पवित्र और आत्मा तृप्त होती है। जो की ऐप के माध्यम से नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि इस तरह की मोबाइल ऐप को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए। बता दें कि कुछ दिनों पहले हरिद्वार में श्री मंदिर नाम की मोबाइल ऐप पर डिजिटल मंदिर का उद्घाटन किया गया था। जिसमें उत्तराखंड के कई मंदिरों को सम्मिलित किया गया है। यही नहीं इस ऐप के जरिए श्रद्धालु घर बैठे ही मंदिर में पूजा अर्चना का लाभ ले रहे हैं।