चमोली: उत्तराखंड के ज्योतिर्मठ स्थित सेना अस्पताल में 44 श्रमिकों का इलाज जारी है, जबकि 2 गंभीर रूप से घायल श्रमिकों को ऋषिकेश एम्स रेफर किया गया है। राहत की बात यह है कि अस्पताल में भर्ती सभी श्रमिक अब खतरे से बाहर हैं।
‘जिंदा लौटूंगा, सोचा नहीं था…’
पिथौरागढ़ निवासी गणेश कुमार ने अस्पताल से अपनी कहानी साझा करते हुए कहा, “मुझे तो बचने की उम्मीद ही नहीं थी, लेकिन सरकार और सेना के रेस्क्यू अभियान के कारण आज मैं सुरक्षित हूं।”
उत्तरकाशी के मनोज भंडारी ने भी बचाव कार्यों की सराहना करते हुए कहा, “भारतीय सेना और प्रशासन ने इतने कठिन हालात में हमारी जान बचाई, यह काबिल-ए-तारीफ है।”
‘सेना ने रातभर संभाला, फिर बचाया’
मुरादाबाद के विजयपाल, जो अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं, ने 28 फरवरी की भयावह रात को याद करते हुए कहा, “जब ग्लेशियर हमारे कंटेनर पर गिरा, तो हम बुरी तरह घबरा गए। लेकिन सेना ने हमें अपने कैंप में रातभर सुरक्षित रखा और अगली सुबह सफल रेस्क्यू कर हमें ज्योतिर्मठ अस्पताल पहुंचाया।”
रेस्क्यू टीमों को धन्यवाद
अस्पताल में भर्ती सभी श्रमिकों ने भारतीय सेना, आईटीबीपी, वायुसेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और जिला प्रशासन के संयुक्त रेस्क्यू ऑपरेशन की जमकर सराहना की। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूरी बचाव टीम का आभार जताते हुए कहा, “अगर इतनी तेजी से बचाव कार्य न होता, तो हम आज जिंदा न होते।”सरकार और रेस्क्यू एजेंसियों के त्वरित एक्शन ने इन श्रमवीरों को नई जिंदगी दी है, जिसे वे कभी नहीं भूल पाएंगे।