नई दिल्ली: भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा पर बाड़बंदी को लेकर तनातनी बढ़ गई है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की आपत्ति के बावजूद, भारत ने स्पष्ट किया है कि सीमा की सुरक्षा और अपराध मुक्त करना उसकी प्राथमिकता है।
बांग्लादेश को संदेश: सहयोग जरूरी
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को कहा, “सीमा पर सुरक्षा उपायों के लिए हमारी स्थिति स्पष्ट है। बाड़बंदी का मकसद सीमा को सुरक्षित बनाना और अपराधों पर लगाम लगाना है।” भारत ने बांग्लादेश से सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाने की उम्मीद जताई है।
सीमा सुरक्षा के लिए भारत का प्लान
- अपराध मुक्त सीमा का संकल्प: भारत ने मानव तस्करी, तस्करी और अन्य आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए तकनीकी उपकरण और मवेशी बाड़ लगाने पर जोर दिया है।
- कूटनीतिक वार्ता: बांग्लादेश के कार्यवाहक उच्चायुक्त और उप-कार्यवाहक उच्चायुक्त को तलब कर भारत ने अपनी स्थिति स्पष्ट की।
भारत-बांग्लादेश संबंध: सकारात्मकता पर जोर
विदेश मंत्रालय ने कहा, “भारत का दृष्टिकोण हमेशा से सकारात्मक और रचनात्मक रहा है।” दिसंबर में विदेश सचिव विक्रम मिस्री की ढाका यात्रा में भी भारत ने स्थिर और समावेशी बांग्लादेश के लिए अपना समर्थन दोहराया था।
तनाव की शुरुआत कहां से?
पिछले हफ्ते, बांग्लादेश ने भारत की बाड़बंदी पर आपत्ति जताते हुए ढाका स्थित भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब किया। इसके जवाब में भारत ने बांग्लादेश के राजदूत मोहम्मद नूरल इस्लाम को बुलाकर कहा कि सभी प्रोटोकॉल और समझौतों का पालन किया गया है।
क्या कहता है भारत?
भारत ने बाड़बंदी को अपनी सीमा सुरक्षा का अहम हिस्सा बताया और उम्मीद जताई कि बांग्लादेश अपराध रोकने में सहयोग करेगा। विदेश मंत्रालय ने कहा, “सीमा पर शांति और सुरक्षा दोनों देशों के हित में है।”
भारत ने बांग्लादेश के साथ सकारात्मक और सहयोगात्मक संबंध बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताई है, लेकिन सीमा सुरक्षा से समझौता न करने का स्पष्ट संकेत दिया है। अब देखना यह है कि बांग्लादेश इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाता है।