“देहरादून नगर निगम चुनाव: निर्णायक भूमिका में कौन ? किसके वोट से बदलेगी शहर की सूरत?”

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TMP :देहरादून में नगर निगम चुनावी सरगर्मी चरम पर है, जहां 7.65 लाख मतदाताओं का फैसला अगले पांच सालों में शहर की तस्वीर बदल देगा। इनमें से करीब 2 लाख निम्न वर्ग के मतदाता हैं, जिनका संघर्ष हर दिन की रोटी और रोजगार के लिए जारी है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि ये मेहनतकश लोग चुनाव को कैसे प्रभावित करेंगे?

पहाड़ी वोटर निर्णायक भूमिका में

देहरादून नगर निगम क्षेत्र में पहाड़ी वोटर का दबदबा है, जो चुनाव में निर्णायक साबित हो सकते हैं। धर्मपुर विधानसभा के मुस्लिम वोटर हों या कैंट क्षेत्र के सिख वोटर, हर वर्ग की भूमिका अहम है। खास बात यह है कि यहां नीति-निर्धारक और वीआईपी लोग भी मतदाता हैं, जो चुनावी समीकरण को दिलचस्प बना रहे हैं।

मलिन बस्तियों से निकल रही नई उम्मीद

शहर की 129 मलिन बस्तियों में रहने वाले 40,000 से ज्यादा परिवार, जिनमें कई वैध-अवैध तरीके से बसे हैं, अब अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। इन इलाकों में पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं भले ही पहुंच चुकी हों, लेकिन स्थायी समाधान का इंतजार अब भी जारी है। इन मतदाताओं का रुख चुनाव में बड़ा बदलाव ला सकता है।

मजदूर और प्रवासी वर्ग का दर्द

दैनिक मजदूरी पर काम करने वाले प्रवासी मजदूर, जो शहर की तरक्की के पीछे हैं, खुद यहां के मतदाता नहीं हैं। इनके लिए महंगाई और बेरोजगारी बड़ी समस्या है, लेकिन इनकी आवाज चुनाव में गुम हो जाती है।

ऑटो-टैक्सी चालकों की अपनी कहानी

ऑटो और टैक्सी चालकों की राय बंटी हुई है। कुछ सरकार के कामकाज से संतुष्ट हैं, तो कुछ महंगाई और टूटी सड़कों से परेशान। लेकिन बड़ी बात यह है कि मोदी का जादू यहां भी असर डालता दिख रहा है।

मोदी के नाम पर छोटा चुनाव बड़ा बन गया

भले ही यह नगर निगम चुनाव हो, लेकिन कई मतदाता प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर वोट डालने की बात कर रहे हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि स्थानीय मुद्दों के बजाय राष्ट्रीय राजनीति चुनावी नतीजों को कितना प्रभावित करती है।

तो सवाल है: क्या इस बार देहरादून का मतदाता शहर की समस्याओं को सुलझाने वाले जनप्रतिनिधि चुनेगा या एक बार फिर बड़े नामों के जादू में बह जाएगा?

 

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