देहरादून: उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रही साइबर ठगी की घटनाएं आमजन के लिए गंभीर खतरा बन गई हैं। साइबर ठग मिनटों में बैंक खातों से धनराशि गायब कर रहे हैं, जिससे लोगों में भय का माहौल है। खासकर, डिजिटल अरेस्ट के नए ट्रेंड में पढ़े-लिखे लोग भी ठगों के निशाने पर आ रहे हैं।
साल 2024 में केवल 10 महीनों के भीतर, साइबर ठगों ने 20 हजार से अधिक लोगों से 142 करोड़ रुपये की ठगी की है। इसके विपरीत, 2023 में पूरे साल में 117 करोड़ रुपये की ठगी दर्ज की गई थी। यह ठगी की गई रकम क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से दुबई, कंबोडिया, और वियतनाम जैसे देशों में भेजी जा रही है।
साइबर ठगी के बढ़ते आंकड़े 2024 के पहले 10 महीनों में वित्तीय धोखाधड़ी के 80 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि 2023 में यह संख्या 48 थी। केंद्र सरकार की ओर से जारी राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर भी शिकायतों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। 2023 में एनसीआरपी पर 17,000 शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें 69 करोड़ रुपये की ठगी हुई। 2024 में अब तक 20,000 शिकायतों में कुल 142 करोड़ रुपये की ठगी हो चुकी है।
मर्चेंट नेवी अफसर भी ठगी के शिकार
साइबर ठगों ने देहरादून के एक मर्चेंट नेवी अफसर को भी डिजिटल गिरफ्तारी के भय में फंसा दिया। खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच और सीबीआई अधिकारी बताकर ठगों ने अफसर से पासपोर्ट और एमडीएमए नशे का पार्सल भेजने की झूठी कहानी रची। धमकी देकर उन्होंने अफसर को 24 घंटे डिजिटल अरेस्ट में रखा और 32 लाख रुपये ठग लिए। पीड़ित ने आठ नवंबर को साइबर क्राइम थाने में अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कराया।
सतर्क रहें, सुरक्षित रहें
साइबर ठगी के इन बढ़ते मामलों से स्पष्ट है कि जागरूकता और सतर्कता ही इस संकट का सामना करने का उपाय है।