भारत की भूमि से पहली बार कैलाश पर्वत के दर्शन: शिव भक्तों का सपना हुआ साकार

 

 

देहरादून: नवरात्रि के पहले दिन शिव भक्तों का वर्षों पुराना सपना साकार हो गया, जब पिथौरागढ़ के ओल्ड लिपुलेख से कैलाश पर्वत के दर्शन करने का सौभाग्य मिला। 5 श्रद्धालुओं के पहले दल ने गुरुवार को माउंट कैलाश, आदि कैलाश और ॐ पर्वत के दिव्य दर्शन किए। केंद्र सरकार की हरी झंडी के बाद उत्तराखंड सरकार ने इस यात्रा के सफल आयोजन के लिए तत्परता दिखाई। कुमाऊं मंडल विकास निगम द्वारा विशेष 5-दिवसीय टूर पैकेज घोषित किया गया है, जो शिव के तीन पवित्र धामों के दर्शन का अवसर प्रदान करता है।

इस अनूठी यात्रा की शुरुआत बुधवार को हुई, जब श्रद्धालुओं को हेलिकॉप्टर से पिथौरागढ़ के गूंजी क्षेत्र पहुंचाया गया। गुरुवार को सभी यात्रियों को सड़क मार्ग से ओल्ड लिपुलेख ले जाकर कैलाश पर्वत और ॐ पर्वत के दर्शन कराए गए। शुक्रवार को इन्हें आदि कैलाश के दर्शन करवाए जाएंगे। इस ऐतिहासिक यात्रा के लिए यात्रियों ने सरकार का आभार व्यक्त किया और कहा कि शिव के धामों के अलौकिक दर्शन से उन्हें अपार शांति और दिव्यता की अनुभूति हुई है।

अब बिना चीन सीमा पार किए दर्शन

कोरोना काल से पहले कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए शिव भक्तों को चीन की सीमा पार करनी पड़ती थी, लेकिन चीन के साथ विवाद और कोरोना के बाद यात्रा बंद हो गई। लंबे समय से भक्त कैलाश पर्वत के दर्शन को तरस रहे थे, जिसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने भारत की भूमि से ही कैलाश के दर्शन कराने का निर्णय लिया।

ग्रामीणों ने खोजा कैलाश पर्वत का नया व्यू प्वाइंट

पिथौरागढ़ के ग्रामीणों ने 18,000 फीट ऊंची लिपुलेख पहाड़ियों पर एक व्यू प्वाइंट खोजा, जहां से कैलाश पर्वत स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। ग्रामीणों की सूचना पर अफसरों ने क्षेत्र का सर्वे किया और दर्शन के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित कीं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पहल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया और कहा कि यह कदम न केवल शिव भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि सीमावर्ती गांवों में पर्यटन को बढ़ावा देने और पलायन रोकने की दिशा में भी एक बड़ी पहल है।

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