रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते वैश्विक तनाव के माहौल में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी कूटनीतिक टीम पर दुनिया की नजरें टिकी हैं। प्रधानमंत्री मोदी कई बार इस संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की पैरवी कर चुके हैं और युद्ध रोकने के लिए लगातार सक्रिय रूप से प्रयासरत हैं। उनकी स्पष्ट नीति है कि विवाद को केवल संवाद और कूटनीति के माध्यम से ही सुलझाया जा सकता है, और इसी दिशा में भारत ने एक बड़ा कदम उठाते हुए अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल को रूस भेजने का फैसला किया है।
NSA अजीत डोभाल की यह यात्रा रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को समाप्त करने की संभावनाओं पर केंद्रित होगी। वैश्विक स्तर पर इसे शांति स्थापना के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है। डोभाल की यात्रा न केवल भारत के मजबूत कूटनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि भारत अपने प्रभाव का उपयोग करके इस संकट का समाधान निकालने में पूरी तरह से सक्षम है।
अजीत डोभाल की रूस यात्रा इस बात का प्रमाण है कि भारत युद्ध की विभीषिका से जूझ रहे देशों के बीच मध्यस्थता कर शांति स्थापित करने की गंभीर कोशिश कर रहा है। भारत की यह पहल रूस और यूक्रेन दोनों ही देशों को एक ऐसा मंच प्रदान कर सकती है, जहां वे बिना किसी पूर्वाग्रह के खुले दिल से संवाद कर सकें। इस यात्रा को लेकर दुनिया भर के देशों ने अपनी उम्मीदें जताई हैं, खासकर यूरोप, अमेरिका और एशिया के प्रमुख देशों ने इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा है।
डोभाल का यह दौरा सिर्फ कूटनीतिक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह संकेत देता है कि भारत वैश्विक शांति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को गंभीरता से ले रहा है। यह यात्रा भारत की कूटनीतिक ताकत और उसके संवाद की शक्ति का एक ज्वलंत उदाहरण है। रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनाव को कम करने की दिशा में डोभाल की पहल भारत की मध्यस्थता को एक नए और प्रभावी स्तर पर ले जाएगी।
इस दौरे के जरिये भारत का उद्देश्य सिर्फ युद्ध को रोकना नहीं है, बल्कि लंबे समय तक शांति और स्थिरता कायम करना भी है। भारत की इस कूटनीतिक पहल से यह भी उम्मीद की जा रही है कि संवाद के जरिये एक ऐसा समाधान निकलेगा, जो सभी पक्षों के लिए स्वीकार्य हो और इससे युद्ध की विभीषिका से जूझ रहे लोगों को राहत मिलेगी।
डोभाल की यात्रा से स्पष्ट है कि भारत न केवल एक विश्वसनीय मध्यस्थ के रूप में उभर रहा है, बल्कि वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। शांति की इस राह पर भारत की पहल दुनिया के लिए एक मिसाल बन सकती है।