पाकिस्तान का ऐतिहासिक कबूलनामा: 1999 के करगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना की सक्रिय भूमिका स्वीकार

करगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना की सक्रिय भूमिका (photo patrika)

 

एजेंसी : पाकिस्तान ने पहली बार आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया है कि 1999 के करगिल युद्ध में उसकी सेना की सीधी भागीदारी थी। अब तक पाकिस्तान ने कभी भी इस बात को सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया था कि उसकी सेना भी इस संघर्ष का हिस्सा थी। शुक्रवार, 6 सितंबर को रक्षा दिवस के अवसर पर, पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने करगिल युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों के हताहत होने की बात स्वीकार की।

इससे पहले केवल सेवानिवृत्त अधिकारियों जैसे लेफ्टिनेंट जनरल शाहिद अज़ीज़, परवेज मुशर्रफ और नवाज़ शरीफ़ ने इस भागीदारी को कबूल किया था, लेकिन वे उस समय पद पर नहीं थे। जनरल मुनीर की यह स्वीकारोक्ति इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पहली बार है जब पाकिस्तानी सेना ने आधिकारिक रूप से करगिल युद्ध में अपनी प्रत्यक्ष भागीदारी की पुष्टि की है।

1999 में हुए करगिल युद्ध के दौरान, पाकिस्तानी सेना ने अपनी भूमिका को छुपाते हुए घुसपैठियों को “कश्मीरी स्वतंत्रता सेनानी” या “मुजाहिदीन” बताया था। उस समय इस्लामाबाद ने नियंत्रण रेखा पार कर भारतीय क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था, जिसे भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय के तहत पीछे धकेल कर अपने क्षेत्रों को पुनः प्राप्त किया।

करीब दो महीने तक चले इस संघर्ष में भारत की निर्णायक जीत हुई, जिसने भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर गहरा असर छोड़ा। पाकिस्तान का यह कबूलनामा करगिल युद्ध के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ता है और यह दर्शाता है कि पाकिस्तान अब उस समय की अपनी रणनीतियों की वास्तविकता को स्वीकार कर रहा है।

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