CISF को सहयोग न मिलने पर केंद्र का ममता सरकार पर हमला, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, कोलकाता के RG Kar मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की सुरक्षा में तैनात केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को सहयोग न मिलने के मामले में पश्चिम बंगाल सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। केंद्र का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस सरकार CISF की सुरक्षा तैनाती में बाधा डाल रही है, जो राज्य की व्यवस्थागत कमजोरी को दर्शाता है।

केंद्र का आरोप: CISF की सुरक्षा में राज्य सरकार का असहयोग

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा कि CISF को RG Kar मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया है, लेकिन बंगाल सरकार की ओर से उन्हें सहयोग नहीं मिल रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आरोप लगाया कि बंगाल सरकार के अधिकारियों का असहयोग CISF की सुरक्षा व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है, जिससे कानून व्यवस्था में कमी आ रही है।

सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग: बंगाल अधिकारियों को निर्देश देने की अपील

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वह बंगाल सरकार के अधिकारियों को निर्देश दे कि वे CISF के कार्यों में सहयोग करें और सुरक्षा व्यवस्था में बाधा न डालें। केंद्र का तर्क है कि राज्य सरकार का असहयोग न केवल CISF की कार्यक्षमता को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह एक बड़े प्रशासनिक संकट का संकेत भी है।

ममता सरकार पर असहयोग का आरोप: सुरक्षा और राजनीति के बीच टकराव

केंद्र सरकार के इस कदम से यह स्पष्ट है कि सुरक्षा के मुद्दे पर ममता बनर्जी की सरकार और केंद्र के बीच टकराव की स्थिति है। केंद्र का यह कदम इस बात का संकेत है कि राज्य की सुरक्षा में तैनात केंद्रीय बलों को ममता सरकार के साथ सहयोग की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है।

 सुरक्षा की राजनीति या राज्य की कमजोरी?

केंद्र और राज्य सरकार के बीच इस टकराव ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि राज्य की सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार के लिए कितनी राजनीतिक इच्छाशक्ति है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय इस मामले में महत्वपूर्ण होगा कि राज्य सरकार को CISF जैसी केंद्रीय एजेंसियों के साथ कैसे समन्वय करना चाहिए और सुरक्षा को राजनीति से अलग रखा जाना चाहिए। केंद्र सरकार की इस याचिका से सुरक्षा और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर राष्ट्रीय बहस शुरू हो गई है, जो देश के संघीय ढांचे और राज्य-केंद्र संबंधों को एक नई दिशा दे सकती है।

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