देहरादून: उत्तराखंड की राज्य औषधि विश्लेषणशाला, देहरादून ने एक और उपलब्धि अपने नाम कर ली है। राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) ने इस लैब को औषधि परीक्षण प्रमाणपत्र जारी किया है, जिससे यहां जांची गई दवाओं और कॉस्मेटिक उत्पादों को अब वैश्विक स्तर पर मान्यता मिलेगी।
अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित लैब
7 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह लैब अत्याधुनिक मशीनों जैसे एचपीएलसी, एफटीआईआर, और जीसीएचएस से लैस है। इसमें औषधियों, सौंदर्य प्रसाधनों, और मेडिकल डिवाइस की जांच होती है। यह राज्य की दूसरी ऐसी लैब है, जो प्रति वर्ष 2,000 से अधिक नमूनों की जांच करने की क्षमता रखती है।
मिलावटखोरी और नकली उत्पादों पर लगेगी रोक
लैब के एनएबीएल प्रमाणन के बाद नकली उत्पादों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को नई गति मिलेगी। अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी के अनुसार, इस लैब में अब तक 3,000 से अधिक नमूनों की जांच की जा चुकी है।
मुख्य विशेषताएं:
- पांच प्रकार की प्रयोगशालाएं: केमिकल टेस्टिंग, मैनर, नापतौल, कॉस्मेटिक, और माइक्रोबायोलॉजी।
- ऑनलाइन प्रमाणीकरण सुविधा: जांच प्रक्रिया को पारदर्शी और तेज बनाती है।
- रुद्रपुर की प्रयोगशाला का सहयोग: पहले से कार्यरत रुद्रपुर लैब के साथ मिलकर जांच कार्य में गति लाई जाएगी।
फार्मा सेक्टर को मिलेगा प्रोत्साहन
एनएबीएल प्रमाणन के बाद राज्य की दवाओं का निर्यात आसान होगा। अब कंपनियों को दवा परीक्षण के लिए अन्य राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा।
ड्रग इंस्पेक्टरों की नियुक्ति से मिलेगी मजबूती
खाद्य संरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग में 18 नए ड्रग इंस्पेक्टरों की नियुक्ति हुई है। लंबे समय से विभाग को ड्रग इंस्पेक्टरों की कमी का सामना करना पड़ रहा था। अब विभाग नकली दवाओं और मिलावटखोरी के खिलाफ अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकेगा।
सीएम धामी और सरकार का प्रयास
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और विभागीय मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के दिशा-निर्देश में शुरू की गई इस लैब को अब वैश्विक पहचान मिल गई है। यह लैब उत्तराखंड को फार्मा सेक्टर में नई ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद करेगी।