दून विश्व विद्यालय इस साल से उत्तराखंड की क्षेत्रीय बोली गढ़वाली, कुमाऊंनी व जौनसारी में सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने जा रहा है। जिसके लिए विश्वविद्यालय को स्वीकृति भी मिल चुकी है।
उत्तराखंड के देहरादून जिले में स्थित दून विश्वविद्यालय द्वारा इस शैक्षणिक सत्र से उत्तराखंड की 3 प्रमुख बोलियों गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी में 1 साल का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया जा रहा है। जिससे युवा पीढ़ी अपनी बोली की बारीकियों को सीख सकेंगे। इससे न केवल उत्तराखंड के अपितु अन्य राज्यों के स्टूडेंट्स को हमारी बोली सीखने का मौका मिलेगा।
संस्कृति की आधार बोली
जैसा की आप जानते हैं कि किसी संस्कृति को अच्छी तरह समझने के लिए वहाँ के लोगों से जुड़ना पड़ता है। और यदि आप किसी संस्कृति से जुड़ना चाहते हैं तो उसकी भाषा और बोली की जानकारी होना अति आवश्यक हो जाता है।अगर आपको बोली कि समझ है तो आप अपनी बात को आसानी से दुसरे लोगों तक पहुँचाने में सक्षम हो जाते हैं। इसी बात को समझते हुए दून विश्वविद्यालय ने उत्तराखंड की 3 बोलियों पर 1 साल का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया है।
3 क्षेत्रीय बोलियों में होगा सर्टिफिकेट कोर्स
इस कोर्स की जानकारी देते हुए दून विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ0 सुरेखा डंगवाल ने बताया कि दून विश्वविद्यालय में पहले से ही विश्व की 5 भाषाओं के सर्टिफिकेट कोर्स चल रहे हैं। मगर दून विश्वविद्यालय इस साल से उत्तराखंड की 3 बोलियों पर भी सर्टिफिकेट कोर्स शुरू कर रहा है। जिससे आने वाली पीढ़ी में अपनी बोली को लेकर समझ विकसित हो सके।
22 करोड़ की लागत से बना शोध और स्टडी केंद्र
कुलपति डॉ0 सुरेखा डंगवाल ने बताया कि प्रदेश सरकार की मदद से दून विश्वविद्यालय प्रांगड़ में पूर्व मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी के नाम पर 22 करोड़ की लागत से एक स्टडी और शोध केंद्र बनाया गया है। इसी शोध केंद्र में ये सर्टिफिकेट कोर्स संचालित होंगे ।अभी तक इस शोध केंद्र का लोकार्पण नही हुआ है। 2 जून को सीएम धामी द्वारा डॉ0 नित्यानंद स्टडी और शोध केंद्र का उद्घाटन किया जाएगा।