TMP :बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में बुधवार को रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) टीम के जश्न के दौरान हर्षोल्लास की बजाय मातम छा गया। फ्री एंट्री की खबर पर भीड़ बेकाबू हो गई और भगदड़ मच गई, जिसमें 11 लोगों की जान चली गई और 30 से अधिक लोग घायल हो गए।
गुरुवार को इस दुखद घटना पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वी. कामेश्वर राव और जस्टिस सीएम जोशी की पीठ ने इस त्रासदी को ‘जश्न के इरादे से हुई त्रासदी’ बताया और पूछा कि क्या यह दुर्घटना रोकी जा सकती थी? साथ ही कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से कैसे बचा जा सकता है।
राज्य सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता शशिकिरण शेट्टी ने बताया कि सरकार ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। 6,000 पुलिसकर्मी तैनात थे, जिनमें पुलिस आयुक्त, DCP और ACP स्तर के अधिकारी भी शामिल थे। स्टेडियम में 11 गेट खुले थे, लेकिन भीड़ का दबाव मुख्य रूप से 3 गेटों पर पड़ा। स्टेडियम की क्षमता करीब 40 हजार थी, लेकिन करीब 2.5 लाख लोग स्टेडियम के बाहर उमड़ पड़े थे।
सरकारी पक्ष ने कोर्ट को बताया कि मजिस्ट्रेट जांच जारी है और 15 दिनों में रिपोर्ट पेश की जाएगी। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 10 जून को होगी।
फोकस सवाल:
-
क्या आयोजकों को भीड़ के पूर्वानुमान का बेहतर आकलन नहीं करना चाहिए था?
-
फ्री एंट्री जैसी घोषणा से पहले प्रशासन को क्या अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए थी?
-
क्या यह हादसा बेहतर प्रबंधन से टाला जा सकता था?
यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि बड़े आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था और भीड़ नियंत्रण को लेकर कोई भी चूक कितनी भारी पड़ सकती है। अब देखना होगा कि हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद राज्य सरकार और आयोजक ऐसे आयोजनों की सुरक्षा रणनीति में किस तरह का बदलाव करते हैं।