देहरादून: उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत के रंगों में सराबोर सीएम आवास का होली मिलन समारोह इस बार बेहद खास रहा। जौनसार के हारूल नृत्य से लेकर लोहाघाट की महिलाओं के पारंपरिक होली गायन तक, हर प्रस्तुति ने प्रदेश की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाया। वहीं, राठ क्षेत्र के लोकगीत, थारू जनजाति के नृत्य और छोलिया कलाकारों की प्रस्तुति ने आयोजन को जीवंत बना दिया।
लोक कलाकारों संग सीएम धामी ने थिरकाए कदम
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद भी इस सांस्कृतिक उत्सव का हिस्सा बने और लोक कलाकारों संग रंगों में रंगे, ढोल-थाली बजाई और पारंपरिक धुनों पर थिरके। उन्होंने सभी कलाकारों के साथ समय बिताया और उनकी प्रस्तुति को सराहा।
सांस्कृतिक उत्सव में दिखी उत्तराखंड की अनूठी विरासत
गढ़वाल से लेकर कुमाऊं और जौनसार से लेकर थारू जनजाति तक—हर क्षेत्र की लोक परंपरा ने यहां अपनी छाप छोड़ी। अल्मोड़ा के कलाकारों ने जब “आओ दगड़ियो, नाचा गावा, आ गई रंगीली होली” गाया, तो पूरे माहौल में रंग घुल गए। राठ क्षेत्र के कलाकारों ने “आई डांड्यू बसंत, डाली मा मौल्यार” की प्रस्तुति दी, जिससे पारंपरिक होली की खुशबू हर तरफ फैल गई।
कलाकारों को मिला मंच, संस्कृति को मिला सम्मान
राठ क्षेत्र कला समिति के प्रमुख प्रेम सिंह नेगी ने इसे गौरव का क्षण बताया, वहीं लोहाघाट के शिवनिधि स्वयं सहायता समूह की 54 महिला कलाकारों ने पहली बार सीएम आवास में प्रस्तुति देकर अपना उत्साह साझा किया। थारू जनजाति से आए बंटी राणा और रिंकू राणा ने कहा कि सीएम धामी लोक कलाकारों को आगे बढ़ाने के लिए सराहनीय कार्य कर रहे हैं।
उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को नई उड़ान
इस आयोजन ने साबित कर दिया कि उत्तराखंड की लोक संस्कृति केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक जीवंत धरोहर है, जिसे संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। इस भव्य होली मिलन समारोह ने प्रदेश के हर क्षेत्र की कला और संस्कृति को एक मंच पर लाकर सांस्कृतिक एकता को और मजबूत किया।