TMP : साइबर अपराधियों का आतंक बढ़ता जा रहा है, और अब ठगों ने “डिजिटल अरेस्ट” के नाम पर 65 वर्षीय बुजुर्ग को अपना शिकार बना लिया। लमगड़ा निवासी जीवन सिंह मेहता को ठगों ने फर्जी मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी दी और 30 घंटे तक डिजिटल बंधक बनाकर उनसे 7.2 लाख रुपये ठग लिए।
कैसे हुआ साइबर फ्रॉड?
11 जनवरी को पीड़ित के व्हाट्सएप पर एक कॉल आई, जिसमें खुद को पुलिस अधिकारी बताने वाले शख्स ने कहा कि उनके मोबाइल की सेवाएं दो घंटे में बंद हो जाएंगी। साथ ही बताया कि उन पर मनी लॉन्ड्रिंग केस में शिकायत दर्ज है। इसके बाद पीड़ित को एक अन्य फर्जी अधिकारी से मिलवाया गया, जिसने खुद को दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच का आईपीएस राकेश कुमार बताया।
ठगों ने बताया कि एचडीएफसी बैंक में उनके नाम पर 6.38 करोड़ का अवैध लेन-देन हो चुका है, और वे इस केस में आरोपी हैं। आरोपितों ने उन्हें यह भी धमकी दी कि इस मामले में 328 लोग शामिल हैं और 116 की गिरफ्तारी हो चुकी है।
गिरफ्तारी वारंट और डराने की चाल
फर्जी अधिकारी मोहित हुड्डा ने व्हाट्सएप कॉल पर दावा किया कि पीड़ित के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुका है। उसने कहा कि अगर वे निर्दोष हैं तो संपूर्ण धनराशि सरकार को ट्रांसफर करनी होगी, अन्यथा उनका बैंक खाता फ्रीज कर दिया जाएगा।
डर और धमकी के चलते पीड़ित ने अलग-अलग तारीखों में 7.2 लाख रुपये साइबर ठगों के खाते में ट्रांसफर कर दिए।
बेटे के आने पर खुला ठगी का राज!
पीड़ित के बेटे के गांव आने पर उन्हें इस ठगी का एहसास हुआ। परिवार ने तत्काल लमगड़ा थाने में शिकायत दर्ज कराई। थानाध्यक्ष राहुल राठी ने बताया कि अज्ञात आरोपितों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
बुजुर्गों को बनाया जा रहा निशाना!
साइबर ठगों के ऐसे मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। इससे पहले रानीखेत की एक शिक्षिका को भी इसी तरह डिजिटल अरेस्ट कर लाखों की ठगी का शिकार बनाया गया था। पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि वे किसी भी अनजान कॉल या व्हाट्सएप मैसेज पर भरोसा न करें और तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर रिपोर्ट करें।