जागर-छपेली के रंग में रंगा देश, राष्ट्रीय रंगशाला शिविर में उत्तराखंड का डंका, मिला द्वितीय स्थान

 

 

 

 

TMP : राष्ट्रीय रंगशाला शिविर, नई दिल्ली में आयोजित सांस्कृतिक प्रतियोगिता में उत्तराखंड ने अपनी कला, संस्कृति और जोश का ऐसा जलवा बिखेरा कि देशभर से आए कलाकारों के बीच दूसरा स्थान हासिल किया। इस शानदार उपलब्धि ने उत्तराखंड को गर्व और सम्मान का कारण दिया।

“जागर” और “छपेली” ने जीता दिल

उत्तराखंड के कलाकारों ने अपनी झांकी में राज्य की मशहूर लोकसंस्कृति का प्रदर्शन करते हुए “जागर गायन” और “छपेली लोकनृत्य” प्रस्तुत किया। भारत सरकार द्वारा गठित समिति ने इस प्रस्तुति को बेहद सराहा और इसे पुरस्कार के लिए चयनित किया।

संयुक्त निदेशक और टीम लीडर के.एस. चौहान ने बताया कि प्रतियोगिता के नियमों के तहत प्रत्येक दल को केवल 3 मिनट 30 सेकंड का समय दिया गया, जिसमें राज्य की पूरी सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करना किसी चुनौती से कम नहीं था। लेकिन उत्तराखंड की टीम ने अपनी लगन और मेहनत से यह नामुमकिन काम मुमकिन कर दिखाया।

5 साल बाद दोबारा बड़ी जीत

यह दूसरी बार है जब उत्तराखंड के कलाकारों ने इस प्रतियोगिता में पुरस्कार जीता है। इससे पहले, 2018 में उत्तराखंड को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ था। लेकिन इस बार झांकी और प्रदर्शन दोनों ने राज्य को दूसरा स्थान दिलाकर बड़ी छलांग लगाई है।

कड़ी मेहनत का रंग लाई सफलता

14 जनवरी 2025 से कलाकारों ने दिन-रात मेहनत करते हुए अभ्यास किया। उनकी इस तैयारी और समर्पण ने ही उत्तराखंड को देशभर में विशेष पहचान दिलाई। इस सफलता से कलाकार बेहद उत्साहित हैं।

गणतंत्र दिवस परेड में ‘सांस्कृतिक विरासत और साहसिक खेल’ की झलक

इस बार गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड की झांकी “सांस्कृतिक विरासत एवं साहसिक खेल” की थीम पर आधारित होगी। झांकी के जरिए राज्य की सांस्कृतिक गहराई और साहसिक पर्यटन का अनूठा संगम दिखाया जाएगा।

राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री आवास में भी प्रस्तुति का मौका

पुरस्कार जीतने के बाद उत्तराखंड के कलाकारों को राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास, उपराष्ट्रपति आवास, रक्षामंत्री और जनजातीय मंत्री के समक्ष अपनी कला का प्रदर्शन करने का विशेष अवसर मिलेगा। यह राज्य के लिए एक और गौरव का पल होगा।

उत्तराखंड की झांकी बनी देश के लिए प्रेरणा

उत्तराखंड के कलाकारों ने न केवल अपनी कला को देशभर में प्रसिद्ध किया बल्कि यह साबित कर दिया कि राज्य की संस्कृति और कला पूरे देश के लिए गर्व का विषय है।

 

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