फर्जी डिग्री से नियुक्त सहायक अध्यापकों को हाईकोर्ट से झटका, बर्खास्तगी पर राहत से इनकार

 

 

नैनीताल:  राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्रों के आधार पर नियुक्त सहायक अध्यापकों को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने विभिन्न जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों द्वारा जारी बर्खास्तगी आदेशों को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज कर दी हैं। न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने यह फैसला 3 अक्टूबर को सुनाया, जिसमें बर्खास्त शिक्षकों की याचिकाओं पर हस्तक्षेप से इनकार कर दिया गया।

रुद्रप्रयाग के शिक्षक विक्रम नेगी सहित कई अन्य सहायक अध्यापकों ने अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की थीं। सभी को फर्जी डिग्री के आधार पर नियुक्त किया गया था, जिसके चलते जून 2022 में उन्हें बर्खास्त किया गया। कोर्ट ने सुनवाई के बाद स्पष्ट किया कि शिक्षकों की नियुक्ति फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्रों के आधार पर हुई थी, न कि अधिकारियों की किसी गलती के कारण।

कोर्ट ने अपने फैसले में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) अधिनियम, 1993 के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि एनसीटीई द्वारा मान्यता प्राप्त योग्यता के बिना शिक्षक की नियुक्ति अवैध मानी जाएगी। इस फैसले से यह साफ हो गया कि फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी पाने वालों को अब न्यायालय से कोई राहत नहीं मिल सकेगी।

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