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उत्तराखंड में उप चुनाव आते ही दोनों पार्टी जनता को लुभाने के लिए भरपूर कोशिश कर रहे है। जहाँ एक ओर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वास्थ्य और शिक्षा को जीत का हथियार बनाया है। यदि स्वास्थ्य और शिक्षा की बात करे तो, सुविधा के नाम पर सीएचसी सेंटर जिला अस्पताल चंपावत से 75 किलोमीटर दूर है।
निजी अस्पताल बसूलते हैं मनमानी फीस
प्रसव पीड़ा के दौरान ये मुश्किल और भी भयावर रूप ले लेती हैं। डिलीवरी के लिए जब महिलाये दर्द के कारण पैदल चलने की स्थिति में नही होती तो उस अवस्था मे उसे डोली में बैठकर निजी अस्पताल तक पहुँचाया जाता है। इनके अलावा निजी अस्पताल इलाज के नाम पर मुहँ
मांगी फीस बसूल रहे है।
स्वास्थ्य और शिक्षा में मात खाने की उम्मीद
मगर सीएम की घोषणा के बाद स्वास्थ्य और शिक्षा के स्तर में सुधार हुआ है। जल्द ही टनकपुर में सर्जनों की तैनाती और लंबे समय से बंद पड़े ट्रामा सेंटर को दुबारा चलाने की बात ने लोगों को विश्वाश को जीत लिया है। अब देखना होगा की सीएम की ये घोषणा जीत की राह आसान करने में कितनी कारगर सिद्ध होती भी हैं।
One thought on “स्वास्थ्य और शिक्षा का पासा जीत के कितने पास, भाजपा का ये दावा क्या दिला सकता है जीत?”
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