श्रीनगर गढ़वाल:गढ़वाल की ऐतिहासिक नगरी देवलगढ़ की गोद में छुपी चार रहस्यमयी गुफाएं अब पर्यटन नक्शे पर उभरने जा रही हैं। देहरादून से करीब 140 किलोमीटर दूर और श्रीनगर से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह स्थल, मां राजराजेश्वरी देवी मंदिर के पास पहाड़ी की तलहटी में है, जो ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध माना जाता है।
यह गुफाएं कोई साधारण गुफाएं नहीं, बल्कि करीब 500 साल पहले गढ़वाल नरेश राजा अजयपाल द्वारा निर्मित बताई जाती हैं। इतिहासकारों के अनुसार, राजा अजयपाल ने वर्ष 1512 से 1517 तक देवलगढ़ को गढ़वाल की राजधानी बनाया था। इस दौरान उन्होंने इन गुफाओं का निर्माण करवाया, जिनकी बनावट आज भी शोध और अन्वेषण का विषय बनी हुई है।
अब यह गुफाएं जल्द ही एक आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने जा रही हैं।
राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री और स्थानीय विधायक डॉ. धन सिंह रावत की विशेष पहल पर इस क्षेत्र में तेजी से विकास कार्य किए जा रहे हैं। शनिवार को उन्होंने खुद देवलगढ़ पहुंचकर गुफा क्षेत्र का निरीक्षण किया और संबंधित ठेकेदारों से कार्यों की प्रगति की जानकारी ली।
क्या होंगे खास आकर्षण?
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इन गुफाओं तक पहुंचने के लिए नया संपर्क मार्ग बनाया जा रहा है।
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प्रकाश व्यवस्था और अन्य पर्यटक सुविधाओं का इंतजाम किया जा रहा है।
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यहां आने वाले पर्यटकों को एक अनोखा ऐतिहासिक अनुभव मिलेगा, जहां धर्म, संस्कृति और रहस्य का संगम देखने को मिलेगा।
पंडित कुंजिका प्रसाद उनियाल, जो राजराजेश्वरी मंदिर के मुख्य पुजारी हैं, बताते हैं कि उन्होंने स्वयं गुफाओं में करीब 5-7 मीटर तक प्रवेश किया है, लेकिन अंदर और भी रहस्य छुपे हो सकते हैं। गुफाओं में सीढ़ियां बनी हुई हैं, जो बताती हैं कि इन्हें सुनियोजित ढंग से बनवाया गया था। पास में स्थित भैरव गुफा भी इस क्षेत्र की ऐतिहासिक विरासत को और मजबूत करती है।
नया टूरिज्म हब बनने की तैयारी
देवलगढ़ की यह गुफाएं अब न सिर्फ इतिहास प्रेमियों के लिए बल्कि एडवेंचर और धार्मिक टूरिज्म के शौकीनों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनेंगी। उत्तराखंड सरकार की पहल और स्थानीय प्रशासन की सक्रियता इस क्षेत्र को एक नई पहचान दिला सकती है।