देहरादून : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज देहरादून में सीएसआईआर-आईआईपी में छात्रों और संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए देश विरोधी Narratives फैलाने वालों पर कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे लोकतंत्र और राष्ट्रवाद को चुनौती देने वाले वही लोग हैं, जिन्होंने कभी सत्ता संभाली या महत्वपूर्ण पदों पर रहे।
देश की तरक्की को नजरअंदाज करने का आरोप
धनखड़ ने युवाओं को सतर्क करते हुए कहा कि ये लोग अपने वास्तविक इरादों को छिपाकर देश की आर्थिक उन्नति और वैश्विक मंच पर बढ़ती प्रतिष्ठा को नजरअंदाज करते हैं। उन्होंने भारतीय लोकतंत्र की तुलना पड़ोसी देशों की प्रणालियों से किए जाने की निंदा की और युवाओं से इन Narratives का विरोध करने की अपील की।
जलवायु न्याय और भारत की भूमिका
उपराष्ट्रपति ने जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं की चुनौतियों पर जोर दिया। उन्होंने जलवायु न्याय को मार्गदर्शक सिद्धांत मानते हुए कहा कि भारत ने अपनी प्राचीन सभ्यता और वैश्विक जिम्मेदारी को निभाते हुए स्थिरता को अपनाया है। उन्होंने वैश्विक बायोफ्यूल गठबंधन की स्थापना को एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए भारत के 2070 तक कार्बन तटस्थता के महत्वाकांक्षी लक्ष्य का उल्लेख किया।
युवाओं को ‘डी-साइलो’ होने की अपील
धनखड़ ने युवाओं से अपील की कि वे सरकारी नौकरियों के मोहजाल से बाहर निकलकर उपलब्ध असीम अवसरों का लाभ उठाएं। उन्होंने कहा कि IMF ने भारत को निवेश और अवसरों का पसंदीदा गंतव्य माना है, जो सिर्फ सरकारी नौकरियों पर आधारित नहीं है।
धनखड़ ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि भारत का भविष्य युवाओं के हाथों में है और उन्हें देश की सकारात्मक दिशा में योगदान देना चाहिए, न कि भ्रामक Narratives का शिकार होना चाहिए।