भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड: विजिलेंस की कार्रवाई तेज, 48 घंटे में दो रिश्वतखोर गिरफ्तार!

 

उत्तराखंड में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में चल रही “भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड” मुहिम ने और गति पकड़ ली है। बीते 48 घंटों में विजिलेंस की टीम ने चमोली और पौड़ी जिलों में दो भ्रष्ट अधिकारियों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर यह संदेश दिया है कि राज्य सरकार भ्रष्टाचारियों के खिलाफ किसी भी सूरत में नरमी नहीं दिखाएगी।

रिश्वतखोरों पर कार्रवाई
शनिवार को विजिलेंस की टीम ने पौड़ी जिले के अगरोड़ा क्षेत्र में राजस्व निरीक्षक (कानूनगो) कैलाश रवि को 15 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा। इसके तुरंत बाद, रविवार को चमोली जिले के कर्णप्रयाग क्षेत्र में आबकारी निरीक्षक जयबीर सिंह को 30 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। ये गिरफ्तारियां मुख्यमंत्री धामी की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस नीति का सीधा उदाहरण हैं।

“भ्रष्टाचार मुक्त एप 1064” बना हथियार
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को और भी सशक्त बनाने के लिए “भ्रष्टाचार मुक्त एप 1064” लॉन्च किया है, जिससे जनता अब आसानी से भ्रष्ट अधिकारियों की शिकायत दर्ज करा सकती है। इस एप के माध्यम से अब तक 980 से अधिक शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं, जिनमें विजिलेंस ने तत्परता से कार्रवाई करते हुए कई रिश्वतखोरों को जेल भेजा है।

विजिलेंस की उपलब्धियां
बीते 9 महीनों में विजिलेंस ने 30 से अधिक भ्रष्टाचारियों को सलाखों के पीछे भेजा है। पिछले 3 वर्षों में यह आंकड़ा 70 तक पहुंच चुका है, जिसमें से 48 घंटों में हुई दो गिरफ्तारियों ने इस संख्या को और बढ़ा दिया है। 23 साल के उत्तराखंड के इतिहास में अब तक 281 ट्रैप में 303 लोग गिरफ्तार हुए हैं, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

सख्त चेतावनी और मजबूत कार्रवाई
मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया है कि भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई और भी तेज की जाएगी। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से आम जनता को परेशान करने वाले किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा। विजिलेंस को अधिक सशक्त बनाकर, सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त किया जाए।

आम जनता का सहयोग
“भ्रष्टाचार मुक्त एप 1064” के जरिये आम जनता अब बेझिझक भ्रष्ट अधिकारियों की शिकायत कर रही है। एप में दर्ज की गई शिकायतों में शिकायतकर्ता की पहचान गुप्त रखी जाती है, जिससे लोग बेफिक्र होकर भ्रष्टाचारियों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।

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