मुख्यमंत्री धामी ने युवा धर्म संसद में दी प्रेरणादायक संकल्प की चुनौती: “राष्ट्र निर्माण में युवाओं की अहम भूमिका”

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को पतंजलि ऑडिटोरियम में आयोजित चतुर्थ युवा धर्म संसद में भाग लिया और कार्यक्रम में उपस्थित सभी युवाओं का गर्मजोशी से स्वागत किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्वामी विवेकानंद के 11 सितंबर 1893 को शिकागो में दिए गए ऐतिहासिक उद्बोधन की स्मृति में आयोजित इस धर्म संसद को राष्ट्रीय युवा शक्ति को प्रेरित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर बताया।

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आज का युवा देश के प्रति जिम्मेदार और कर्तव्यपरायण है। उन्होंने कहा कि यह धर्म संसद एक मील का पत्थर साबित होगी, जो विकसित राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। धामी ने जोर देकर कहा कि कोई भी राष्ट्र तब तक विकसित नहीं हो सकता जब तक उसकी युवा शक्ति संगठित, आत्मनिर्भर और राष्ट्रवाद की भावना से प्रेरित न हो। उन्होंने युवाओं को प्रेरित किया कि वे अपनी ऊर्जा और सामर्थ्य का उपयोग सही दिशा में करें, ताकि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बन सके और फिर से विश्व गुरु के रूप में पहचान बना सके।

मुख्यमंत्री ने संकल्प की महत्वता पर भी बल दिया, यह कहते हुए कि संकल्प में विकल्प नहीं होने चाहिए क्योंकि विकल्प संकल्प को कमजोर कर देते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय संस्कृति की वैश्विक पहचान की सराहना की और बताया कि योग, प्राणायाम और गीता के सार के माध्यम से भारतीय संस्कृति पूरी दुनिया में अपना स्थान बना रही है।

मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए राज्य सरकार की योजनाओं का उल्लेख किया, जिसमें दून विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर हिंदू स्टडीज की स्थापना शामिल है। उन्होंने उत्तराखंड के युवाओं की स्टार्टअप के माध्यम से प्रगति की भी तारीफ की और कहा कि राज्य सरकार युवा ऊर्जा को सही दिशा में उपयोग करने के लिए प्रयासरत है।

धामी ने युवाओं से अपील की कि वे भारतीय संस्कृति के संवर्धन और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएं और अपनी शक्ति को सकारात्मक दिशा में लगाएं।

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