एएनआई। म्यांमार और बांग्लादेश स्थित उग्रवादी संगठनों की ओर से मणिपुर में जातीय अशांति का फायदा उठाकर अंतरराष्ट्रीय साजिश रचने के मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) ने दूसरी गिरफ्तारी की है। NIA ने 19 जुलाई को स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया था। मणिपुर पुलिस ने चूड़चंदपुर में सेमिनलुन गंगटे को गिरफ्तार कर एनआइए को सौंपा है।
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आरोपी गंगटे को लाया गया दिल्ली
आरोपित सेमिनलुन गंगटे को गिरफ्तारी के बाद दिल्ली लाया गया, जहां उसे अदालत में पेश किया जाएगा। नौ दिनों के अंदर इस मामले में यह दूसरी गिरफ्तारी है। इससे पहले 22 सितंबर को एनआइए ने मोइरांगथेम आनंद सिंह को मणिुपर से पकड़ा था। एनआइए को जांच में पता चला है कि म्यांमार और बांग्लादेश स्थित उग्रवादी समूहों ने भारत में उग्रवादी नेताओं के एक वर्ग के साथ मिलकर हिंसा की घटनाओं को अंजाम देने की साजिश रची।
जातीय समूहों के बीच दरार पैदा करने के लिए रची गई थी साजिश
यह साजिश विभिन्न जातीय समूहों के बीच दरार पैदा करने और सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के उद्देश्य से रची गई। एनआइए ने कहा कि इसके लिए संगठन से जुड़े उग्रवादियों की ओर से गोला-बारूद और अन्य हथियारों की खरीद के लिए धन मुहैया कराई गई। जातीय संघर्ष को भड़काने के लिए सीमा पार के साथ-साथ भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में सक्रिय अन्य उग्रवादी संगठनों से भी इसमें सहायता की थी।
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6 दिन पहले पीएलए के पूर्व कैडर की हुई थी गिरफ्तारी
संदिग्ध की गिरफ्तारी एजेंसी द्वारा इसी मामले में एक प्रशिक्षित उग्रवादी कैडर – मोइरांगथेम आनंद सिंह को हिरासत में लेने के कुछ दिनों बाद हुई है। सिंह को 24 सितंबर को गिरफ्तार कर लिया गया और दिल्ली भी लाया गया। सिंह को मूल रूप से 16 सितंबर को मणिपुर पुलिस ने 4 अन्य लोगों के साथ कथित तौर पर छद्म वर्दी पहनने और एक इंसास राइफल, एक एसएलआर, दो .303 राइफल और कई मैगजीन रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था। वह मणिपुर की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का पूर्व कैडर भी हैं।
3 मई को दो समुदायों के बीच हुई झड़पों में राज्य तबाह!
आपको बता दें कि मणिपुर में सबसे पहले झड़पें 3 मई को चुराचांदपुर शहर में हुईं, जब जनजातीय समूहों ने राज्य के आरक्षण मैट्रिक्स में प्रस्तावित बदलाव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया। जिसमें मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिया गया था। हिंसा ने तुरंत राज्य को अपनी चपेट में ले लिया। जिससे हजारों लोग प्रभावित हुए। झड़पों ने राज्य को मैदानी इलाकों में रहने वाले और राज्य की 53 फीसदी आबादी वाले प्रमुख मैतेई समुदाय और पहाड़ी जिलों में रहने वाले राज्य की 16 फीसदी आबादी वाले आदिवासी कुर्की समुदाय के बीच विभाजित कर दिया है। इस हिंसा में कम से कम 175 लोग मारे गए।