TMP: उत्तराखंड में संभावित मानसूनी आपदाओं से निपटने की तैयारियों को लेकर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने शुक्रवार को सचिवालय से सभी जिलों के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। उन्होंने स्पष्ट किया कि आपदा के दौरान ‘रिस्पांस टाइम’ को तेज और असरदार बनाना हर विभाग की प्राथमिकता होनी चाहिए, ताकि आम जनता को समय रहते राहत पहुंचाई जा सके।
मुख्य सचिव ने कहा कि जिन इलाकों में जलभराव और बाढ़ का खतरा ज्यादा है, जैसे हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल और चंपावत, वहां मॉक ड्रिल आयोजित की जाएं। साथ ही उन्होंने चारधाम यात्रा के दौरान विशेष सतर्कता बरतने और सभी विभागों को 24×7 अलर्ट मोड में रहने के निर्देश दिए।
मुख्य निर्देशों में शामिल:
-
आपदा पीड़ितों को शीघ्र सहायता, पुनर्निर्माण कार्यों की तेज़ी से शुरुआत
-
पंचायत स्तर पर सर्वे टीम गठित कर नुकसान का तुरंत आकलन
-
डिजास्टर रिस्पॉन्स टीम की त्वरित तैनाती और जेसीबी, नाव, राहत शिविर आदि की पूर्व तैयारी
-
वन क्षेत्रों में नदियों की डिसिल्टिंग पर विशेष ज़ोर
-
वैकल्पिक बैलीब्रिज, खाद्य और ईंधन भंडारण, दूरस्थ क्षेत्रों के दुकानदारों में स्टॉक सुनिश्चित करना
-
संक्रामक बीमारियों की रोकथाम, गर्भवती महिलाओं की सूची और पास के अस्पतालों की पहचान
वित्तीय स्थिति:
बैठक में यह जानकारी दी गई कि राज्य आपदा मोचन निधि और अन्य योजनाओं से 162 करोड़ रुपये जिलों को जारी किए जा चुके हैं, और प्रति ज़िला 1 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सहायता की प्रक्रिया प्रगति पर है। मुख्य सचिव ने कहा कि धन की कोई कमी नहीं है, पर उसका पूर्ण और पारदर्शी उपयोग सुनिश्चित होना चाहिए।
मुख्य सचिव ने ज़ोर देकर कहा —
“आपदा प्रबंधन में देरी जीवन की कीमत बन सकती है, इसलिए सभी विभाग तत्परता, पारदर्शिता और तकनीकी दक्षता से काम करें।”
यह समीक्षा बैठक राज्य में आपदा प्रबंधन प्रणाली को और अधिक प्रभावी, तेज़ और संवेदनशील बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और निर्णायक कदम मानी जा रही है।