न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा सेवानिवृत्त, हाईकोर्ट ने गंगा अवैध खनन पर भी दिखाई सख्ती

 

 

 

TMP : उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा गुरुवार को न्यायिक सेवा से सेवानिवृत्त हो गए। करीब 26 माह तक हाईकोर्ट में अपनी सेवाएं देने के बाद आयोजित फुल कोर्ट रिफरेंस में मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र ने उनके न्यायिक योगदान की सराहना की।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायमूर्ति शर्मा ने अपने करियर में जिला न्यायाधीश, रजिस्ट्रार जनरल और अंततः हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में न्यायिक प्रक्रिया में उल्लेखनीय योगदान दिया है। समारोह में न्यायमूर्ति शर्मा ने सभी सहयोगियों और अधिवक्ताओं को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।

 न्यायमूर्ति की विदाई के साथ अहम आदेश भी:

न्यायमूर्ति शर्मा की सेवानिवृत्ति के दिन ही हाईकोर्ट ने गंगा किनारे हो रहे अवैध खनन को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार से विधिक राय प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

जनहित याचिका मातृ सदन हरिद्वार द्वारा दाखिल की गई थी, जिसमें गंगा के अस्तित्व पर संकट और एनएमसीजी (राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन) के आदेशों की अनदेखी का आरोप लगाया गया है।

कोर्ट ने सेना के लीगल सेल से भी यह पूछा है कि क्या उनकी कोई बटालियन इस अवैध खनन को रोकने में प्रशासन को सहयोग दे सकती है।

परिवहन निगम कर्मचारियों को राहत:

इसके अतिरिक्त, हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सेवानिवृत्त परिवहन निगम कर्मचारियों की लंबित अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए निगम को दस दिन के भीतर सभी लाभों का भुगतान करने के निर्देश दिए हैं। निगम ने कोर्ट में स्वयं यह आश्वासन दिया है, जिसकी अनुपालन रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है।

गरिमामयी विदाई में न्यायिक परिवार रहा मौजूद:

फुल कोर्ट रिफरेंस में न्यायमूर्ति मनोज तिवारी, रविन्द्र मैठाणी, पंकज पुरोहित, आशीष नैथानी सहित अनेक न्यायमूर्ति, वरिष्ठ अधिवक्ता व न्यायालय स्टाफ उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन रजिस्ट्रार जनरल योगेश गुप्ता ने किया।



न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा ने न केवल न्यायिक मर्यादा निभाई, बल्कि जनहित मामलों में भी निडर व सटीक दिशा-निर्देश देकर अपनी न्यायिक छवि को मजबूत किया। उनकी विदाई के साथ ही न्यायालय की सक्रियता यह दिखाती है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट जनहित और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा में निरंतर अग्रसर है।

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