TMP: जहां सीमांत गांवों में आज भी शिक्षक पहुंचने की चुनौती बनी हुई है, वहीं उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के एक छोटे से सरकारी स्कूल ने इतिहास रच दिया है। नेपाल सीमा से सटे जाजर चिंगरी गांव का राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय अब देश का पहला ऐसा सरकारी स्कूल बन गया है, जहां बच्चों को पढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर आधारित रोबोटिक टीचर की तैनाती हुई है।
विद्यालय में पहली बार पहुंची एआई टीचर ने बच्चों से संवाद किया, सवालों के जवाब दिए और गणित के जोड़-घटाने से लेकर पहाड़े तक सुनाए। यह रोबोटिक टीचर 22 भाषाओं में संवाद कर सकती है और छात्रों के सवालों का सटीक जवाब देती है।
बच्चों के चेहरे पर मुस्कान, तकनीक से नयी उम्मीद
विद्यालय में पढ़ने वाले 52 छात्र-छात्राएं जब पहली बार अपनी एआई टीचर से सवाल कर रहे थे और जवाब सुन रहे थे, तो खुशी उनके चेहरों पर साफ झलक रही थी। शिक्षक की वर्षों से चल रही कमी को यह तकनीक अब पूरा कर रही है।
प्रेरक पहल: प्रधानाध्यापक ने बदली तस्वीर
विद्यालय के प्रधानाध्यापक चंद्रशेखर जोशी की इस अनूठी पहल ने पूरे राज्य के शिक्षा तंत्र को नई दिशा दिखाई है। जोशी ने चीन में रह रहे अपने मित्र से तकनीकी चर्चा की और करीब 4.5 लाख रुपये की लागत से इस एआई टीचर को स्कूल तक पहुंचाया। इसमें कुछ आर्थिक सहयोग मित्र ने दिया, बाकी राशि उन्होंने स्वयं जुटाई।
गणित शिक्षक की कमी अब नहीं खलेगी
स्कूल में लंबे समय से गणित विषय का शिक्षक नहीं था। लेकिन अब यह एआई टीचर बच्चों को जोड़-घटाव, पहाड़े और अन्य गणितीय अवधारणाएं समझा रही है। बच्चों का गणित से डर अब खत्म हो रहा है और वे सीखने में रुचि लेने लगे हैं।
नवाचारों का केंद्र बनता जा रहा है जाजर चिंगरी स्कूल
यह विद्यालय पहले भी मशरूम उत्पादन, ईको क्लब, रोजगारपरक शिक्षा, बैग-फ्री डे और ‘आनंदम’ जैसी पहल के लिए चर्चित रहा है। प्रधानाध्यापक चंद्रशेखर जोशी को उनके इन नवाचारों के लिए ‘शैलेश मटियानी पुरस्कार’ से सम्मानित भी किया जा चुका है।
पिथौरागढ़ के इस सीमांत गांव में एआई की गूंज सुनाई दे रही है—यह केवल तकनीक की जीत नहीं, बल्कि सरकारी स्कूलों में एक नई सोच की शुरुआत है। भविष्य की शिक्षा अब पहाड़ों तक भी पहुंच रही है, वो भी रोबोट के साथ!